विंध्याचल मंदिर (Vindhyachal Temple)

मां विंध्यवासिनी की उत्पत्ति कैसे हुई, विंध्याचल मंदिर आरती टाइमिंग

विंध्याचल मंदिर धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण स्थान है हम भारतीयों के लिए। विंध्याचल माता मंदिर माँ भगवती विंध्यवासिनी  महाशक्ति का परम निवास स्थान  है। विंध्याचल मंदिर गंगा तट पर स्थित है। यह सभी शक्तिपीठो में से प्रधान शक्तिपीठ है।

विंध्याचल मंदिर लोकेशन (Vindhyachal mandir location)

विंध्याचल मंदिर उत्तर प्रदेश के राज्य मिर्जापुर के छोटे से कस्बे में पड़ता है। गंगा किनारे स्थित माता विंध्यवासिनी का यह धाम मिर्ज़ापुर से 7 किलोमीटर की दूरी पर है।

मां विंध्यवासिनी की उत्पत्ति कैसे हुई (Origin story of vindhyavasini )

देवी दुर्गा आदि शक्ति के रूप में से एक रूप मां विंध्यवासिनी है देवी को यह नाम पर्वत से मिला है विंध्यवासिनी का मतलब है विंध्या में निवास करने वाली देवी ऐसी मान्यता है कि सती के अंग जहां-जहां गिरे थे वहां वहां शक्ति पीठ स्थापित हो गए अंजनी पर्वत वह स्थान है जहां उन्होंने अपने जन्म होने के बाद वहां रहना चुना

मां विंध्यवासिनी की उत्पत्ति के बारे में उन्होंने सभी देवी देवताओं को बता दिया था कि वह यशोदा और नंद के घर जन्मी थी विंध्यवासिनी का जन्म उसी दिन हो गया था जिस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था आकाश में हुई भविष्यवाणी ने कंस को उसकी मृत्यु देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के हाथों होने के बारे में बताया था इससे भयभीत कंस अपनी ही बहन की संतानों को मारने के लिए उतारू हो गया। 

विंध्याचल मंदिर आरती टाइमिंग (Vindhyachal Mandir arti timing )

सामान्य दिनों में आरती का समय:

मंगला आरती या प्रभात आरती – सुबह 4 बजे से 5  बजे तक।

राजश्री आरती या मध्यान आरती – दोपहर 12 बजे से 1 :30 बजे तक।

संध्या आरती या छोटी आरती – 7 :15 से 8 :15 तक

बड़ी आरती या शयन आरती – रात 9 :30 से 10 :30  तक

नवरात्रो के  दिनों में आरती का समय:

मंगला आरती या प्रभात आरती – सुबह 3  बजे से 4   बजे तक।

राजश्री आरती या मध्यान आरती – दोपहर 12 बजे से 1  बजे तक।

संध्या आरती या छोटी आरती – 7 :30  से 8 :30  तक

बड़ी आरती या शयन आरती – रात 9 :30 से 10 :30  तक

विंध्यवसिनी मंदिर जाने का समय (Best time to visit vindhyavashini temple )

आप साल में कभी भी माता विध्यवासिनी के दर्शन करने के लिए जा सकते है। नवरात्रो में माता विंध्यवासिनी के दर्शन का विशेष महत्व होता है। नवरात्रो में माता विध्यवाशिनी हज़ारो श्रद्धालु आते है।

नवरात्रो में हर तरफ मेलो का आयोजन होता है तथा हर तरफ एक सुन्दर  माहौल होता है।

विंध्याचल मंदिर के पास कहा रुके ( Where to stay )

विंध्याचल मंदिर के दर्शन का विशेष महत्व होने के कारन यहाँ वर्ष बाहर श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। इस लिए आपको यहाँ अपने बजट के अनुसान धर्मशाला और होटल मिल जायेगे।

विन्धयाचल में होटल : 

 होटल शैलशिव अतिथि भवन – करीब 1000 रूपए 24  घंटे का चार्ज।

होटल रिट्रीट  – करीब 2500 रूपए 24 घंटे का चार्ज।

होटल प्रेम अतिथि भवन – करीब 1500  रूपए 24  घंटे का चार्ज।

विंध्याचल में धर्मशाला :

लखी प्रसाद धर्मशाला – यहाँ आप जा कर अपने अनुसार रूम या हॉल बुक कर सकते है।  24  घंटे के करीब 500  रूपए।

प्रेम भवन धर्मशाला – यहाँ आपको सभी प्रकार के रूम और हॉल मिल जायेगे।  24  घंटे के करीब 500  रूपए।

स्वागत भवन धर्मशाला – यहाँ आप अपनी जरूरत के अनुसान रूम देख सकते है।  24  घंटे के करीब 500  रूपए। 

विंध्याचल मंदिर के पास घूमने के लिए अन्य स्थान (Places to visit near vindhyachal mandir )

विंध्याचल मंदिर के अस्स पास अन्य भी बहुत सारे स्थान है जहां पर आप घूम सकते है जैसे की –

गंगा घाट (Ganga Ghat ) :

 माता विंध्यवासिनी , गंगा नदी के निकट है स्थित विध्याचल मंदिर  में निवास करती है।  ऐसी स्थिति में यहाँ स्थित गंगा घाट का महत्व और बढ़ जाता है। यहाँ आने वाले सभी भक्तजन पहले मंदिर में स्नान करते है। फिर उसके बाद माता विंध्यवासिनी के दर्शन करने के लिए जाते है। यहाँ गंगा घाट दोनों किनारो पर स्नान की सुविधा उपलब्ध है।

समय – गंगा घाट पर दिन में किसी भी समय आ सकते है

एंट्री फी – निशुल्क

काली खोह मंदिर (kali koh mandir )

काली खोह मंदिर माता विध्यवासिनी के मंदिर के समीप ही स्थित है। आप माता विंध्यवासिनी के दर्शन के बाद काली खोह मंदिर के दर्शन करने के लिए जा सकते है। काली खोह मंदिर देवी काली को समर्पित है।

यहाँ आपको मंदिर माता काली की मूर्ति , प्रभु हनुमान की मूर्ति और शिव लिंग भी पूजा करने के लिए मिल जायेगा।

मंदिर प्रागण पूरी तरह से लाल रंग का बना हुआ है।

समय – दिन में कभी भी आ सकते  है।

एंट्री फी – निशुल्क

अष्टभुजा मंदिर (Ashtbhuja mandir )

अष्टभुजा मंदिर विंध्याचल मंदिर से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अष्टभुजा मंदिर विंध्याचल की पहाड़ियों पर स्थित है इसलिए अष्टभुजा मंदिर में जाने के लिए करीब 70  सीढ़िया चढ़नी पड़ती है। इस मंदिर में अष्टभुजा माता निवास करती है जो की अपनी अष्ट भुजा से संसार की आठो दिशाओ की रक्षा करती  है।

समय – दिन में कभी भी

एंट्री फी – निशुल्क

सीता कुंड (Seeta kund ) :

सीता कुंड नाम का स्थान विंध्याचल की एक छोटी सी  पहाड़ी   पर स्थित है। यहाँ भगवान् राम , माता सीता प्रभु लक्ष्मण की मूर्तियाँ लगी हुई है। ऐसा कहा जाता है की अपने वनवास के दौरान माता सीता ने इसी स्थान पर स्नान किया था। यहाँ पर एक जल स्रोत भी जो कभी नहीं सूखता है। यहाँ पर नवमी के स्नान और दान का विशेष महत्व है।

समय – दिन में कभी भी

  एंट्री फी – निशुल्क

कैसे पहुंचे विंध्याचल मंदिर (How to reach vindhyachal mandir )

विंध्याचल मंदिर पहुंचने के लिए आप फ्लाइट, ट्रैन या बस किसी का भी उपयोग कर सकते है।

फ्लाइट द्वारा – लाल बहादुर शाष्त्री एयरपोर्ट वाराणसी से  विध्याचल मंदिर की दूरी  67 किलोमीटर है।  आप यहाँ उतर कर यहाँ से कैब या टैक्सी कर के विंध्याचल मंदिर पहुंच सकते है।

रेल द्वारा – विंध्याचल रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी 1 किलोमीटर है आप यहां से रिक्शा या ऑटो लेकर पहुंच सकते हैं।

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