Sankata Mata Mandir Varanasi : संकटों को दूर करने वाली देवी का मंदिर

Sankata Devi Mandir /Sankatha Temple Varanasi- संकटा देवी का मंदिर वाराणसी

वाराणसी उर्फ़ काशी की पवित्र भूमि शक्तिशाली मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध है, और ऐसे ही शक्तिशाली मन्दिरों में से एक संकाटा देवी का मंदिर है जोकि मंडीकर्णिका से कुछ ही दूरी पर स्थित है. यह मंदिर संकटा देवी अर्थात संकटों को दूर करने वाली देवी को समर्पित है. ऐसी माना जाता है कि संकटा देवी का यह अकेला मंदिर है, और शुक्रवार को चुनरी और नारियल चढ़ा कर जोकि मुराद मांगी जाए ज़रूर पूरी होती है.

Architecture Of Sankata Devi Temple | संकटा देवी मंदिर का बनावट

18 वी सदी के आखिर में बड़ौदा के राजा ने संकट घाट को बनवाया था, उसी समय संकटा देवी का मंदिर भी बनवाया था, बाद में इस घाट को एक पंडित की विधवा पत्नि ने पक्का करवाया. यह मंदिर की वास्तुकला अन्य मंदिरों से अलग है मंदिर में प्रवेश के लिए एक विशाल द्वार है और द्वार के अंदर जाते ही एक बड़ा सा आंगन है, आँगन के बीचों बीच एक पीपल का बड़ा सा पेड़ है जिसके चारों और चबूतरा बना हुआ है और आंगन के चारों ओर बरामदा है जिसमें हवन, पाठ हुआ करता है. आँगन के भीतर एक बड़ा हाल है जिसमें संकटा देवी की विशाल प्रतिमा है.

Address Of Sankata Devi Temple | संकटा देवी मंदिर का पता

संकटा मंदिर, CK 21/20, शितला गली, गावासितोला, गोविंदपुरा, उत्तर प्रदेश, 221001.

Timing Of Sankata Devi Temple | संकटा देवी मंदिर का समय

संकटा देवी का मंदिर सुबह 4:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक खुला रहता है, फिर 3 बजे से रात 12 बजे तक खुला रहता है. और माँ की आरती का समय सुबह 6:30 बजे और रात को 10 बजे है.

History Of Sankata Devi Temple | संकटा देवी मंदिर का इतिहास

ऐसी मान्यता है कि जब माता सती ने आत्मदाह कर लिया तो शिवजी व्याकुल रहने लगे तो शिवजी ने संकटा माता की पूजा अर्चना की जिसके बाद व्याकुलता खत्म हो गयी. और माता संकाटा प्रसन्न हुईं और उन्होंने शिवजी की पत्नि फिर से जिवित कर दिया और शिवजी को माता पार्वती का साथ पुनः प्राप्त हो गया.

दूसरी मान्यता के अनुसार पांडव जब काशी आयें थे तो माता संकटा देवी की प्रतिमा स्थापित कर पाँचों पांडवों ने एक पैर पर खड़े होकर बिना जल अन्न ग्रहण करे तपस्या करी, जिससे माँ संकटा प्रकट हुईं और उन्होंने पांडवो से एक वरदान मांगने को कहा और उन्हें लक्ष्मी व वैभव की प्राप्ति और संकटों के दूर होने का आशीर्वाद दिया. और जिसके बाद महाभारत के युद्ध में पाड़वों ने कोरवों को पराजित किया था. और यहाँ पर संकटा देवी का मंदिर बनवाया.

Conclusion

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