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राजघाट वाराणसी का सबसे उत्तरी घाट है और मालवीय पुल के ठीक पहले स्थित है। राजघाट वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों में से एक है लेकिन अन्य घाटों की विपरीत इस घाट का कोई धार्मिक महत्व नहीं है इस घाट की तरफ पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए 1970 में वाराणसी नगर निगम ने इसे एक पक्का घाट बनाया राजघाट इतिहास के विद्वानों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। राजघाट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की नवीनतम उत्खनन स्थलों में से एक है घाट से कुछ मीटर की दूरी पर आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व से 18 वीं शताब्दी ईसा पूर्व की प्राचीन बस्तियों के अवशेष मिले हैं जिससे पता चलता है कि वाराणसी कितना प्राचीन स्थल है ।
राजघाट का इतिहास (History of Rajghat in Hindi)
मध्यकालीन समय में राजघाट राजाओं का निवास स्थान हुआ करता था इसलिए इसे राजघाट के नाम से जाना जाता है घाट का ऊपरी भाग गढ़वाल किला था और निचला भाग फेरी पॉइंट के रूप में उपयोग किया जाता था। ग्रैंड ट्रंक रोड से विभाजित राजघाट का ध्वस्त किला आज भी देखा जा सकता है और गढ़वाल शिलालेख राजघाट को वाराणसी के सबसे पवित्र स्थानों में से एक के रूप में चिन्हित करते हैं यह 12वीं शताब्दी तक सबसे व्यस्त घाट था लेकिन धीरे-धीरे इसका महत्व कम हो गया क्योंकि लोग दक्षिण भागो में चले गए और अन्य घाट अधिक प्रमुख हो गए।
घाट से जुड़ी रोचक बात
वर्तमान में राजघाट पर स्थानीय लोग घाट के व्यापारी मछुआरे और नाविक आते हैं इस घाट का कोई धार्मिक महत्व ना होते हुए भी यह घाट दुर्गा पूजा गणपति विसर्जन और अन्य उत्सव के दौरान मूर्ति विसर्जन का स्थल बन गया है यहां पर स्थानीय लोगों द्वारा आरती का आयोजन किया जाता है ।
क्या देखें- (What to See At Raj Ghat, Varanasi)
- लाल खान का मकबरा।
- रविदास मंदिर।
- मालवीय ब्रिज।
- श्री बाबा महिषासुर और सायर माता मंदिर।
- राजघाट के समीप स्थित घाट
- रानी घाट
- खिड़कियां घाट (Namo Ghat)
राजघाट कैसे पहुंचे (How to reach at Rajghat
राजघाट काशी रेलवे स्टेशन और मालवीय पुल के बगल में स्थित है यह सभी रेलवे स्टेशनों हवाई अड्डे और बस स्टैंड से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है यहां साझा ऑटो रिक्शा द्वारा पहुंचा जा सकता है किसी भी घाट से राजघाट तक नाव की सवारी भी की जा सकती है ।