Table of Contents
ToggleBharat Milap Varanasi - नाटी इमली का भरत मिलाप
वाराणसी का नाटी इमली का भरत मिलाप सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। इसे देखने के लिए दूर दराज़ से भक्त गण आते है। वाराणसी का नाटी इमली का भरत मिलाप एक ऐसा क्षण होता है जिसे देख कर सभी की आंखे सजल हो जाती है।
क्या है वाराणसी का नाटी इमली का भरत मिलाप -What is Nati Imli ka Bharat Milap )
वाराणसी का नाटी इमली का भरत मिलाप वह समय है जब प्रभु श्री राम 14 वर्ष का वनवास काट कर लंका विजय और रावण के वध के बाद माता सीता और लक्ष्मण के साथ नाटी इमली के मैदान पर आते है।
नाटी इमली के मैदान पर प्रभु राम और लक्ष्मण अपने भाइयो भरत और शत्रुधन से मिलते है। इसी क्षण को नाटी इमली का भरत मिलाप कहां गया है।
नाटी इमली का भरत मिलाप रामलीला के 18 वे दिन किया जाता है।
नाटी इमली का भरत मिलाप -Nati Imli ka Bharat Milap Details
वाराणसी का नाटी इमली का भरत मिलाप देखने के लिए हज़ारो की संख्या में लोग आते है।
रामलीला में अभिनय करने वाले कलाकार बड़ी ही बखूबी से इस दृश्य को दर्शाते है। रामायण के अनुसार रावण के वध के बाद प्रभु भरत प्रण लेते है की यदि उन्हें भगवान् राम के दर्शन नहीं हुए तो वह देह त्याग देंगे।
इस बात का पता जब श्री राम को चलता है तो वह पुष्पक विमान से अतिशीघ्र ही माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या के लिए निकल जाते है। उधर हनुमान जी भरत को बता देते है की प्रभु राम आ रहे है। भरत, शत्रुधन प्रभु राम से मिलने के लिए घर से निकल जाते है।
प्रभु राम, लक्ष्मण , भरत और शत्रुधन से जहा मिलते है वह स्थान इस मिलन का साक्षी बनता है। इसी स्थान को नाटी इमली का भरत मिलाप कहते है।
इसे वाराणसी के लक्खा मेले के नाम से भी जाना जाता है। लक्खा मेले का अर्थ है जिसमे लाखो लोग पहुंचते हो। क्योंकि यह सबसे जल्दी और सबसे बड़ा लगने वाला मेला है। इस मेले को देखने के लिए भी लाखो लोगो की भीड़ आती है।
नाटी इमली का भारत मिलाप देखने के लिए काशी नरेश स्वयं आते है। नाटी इमली का भरत मिलाप देखने के लिए हज़ारो की संख्या में देसी विदेशी पर्यटक आते है। यह दृश्य सभी के मन को मोह लेता है।
काशी वासियो की ऐसी मान्यता है की नाटी इमली का भारत मिलाप के दौरान प्रभु श्री राम स्वयं धरती पर अवतरित होते है। प्रभु श्री राम के साक्षात दर्शन प्रपात करने के लिए ही भक्त गण यहाँ आते है।