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ToggleVaranasi Ka Nag Nathaiya- वाराणसी का प्रसिद्ध नाग नथैया
नाग नथैया वाराणसी में मनाये जाने वाले पर्वो में से एक है। नाग नथैया पर्व को वाराणसी की जनता बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाती है। नाग नथैया उत्सव भगवान् कृष्णा लीला का उत्सव है। नाग नथैया उत्सव के दौरान कुछ बच्चे गंगा नदी में नाग बनते है और कुछ बच्चे कृष्ण बनकर उनके शीश पर नृत्य करते हुए बाहर आते है। इसी को नाग नथैया उत्सव कहा गया है।
कहां मनाया जाता है नाग नथैया उत्सव -Where is celebrated Nag Nathaiya
नाग नथैया उत्साव उत्तरप्रदेश के वाराणसी शहर के तुलसी घाट पर आयोजित किया जाता है। तुलसी घाट पर प्रतिवर्ष बड़ी धूम धाम के साथ नाग नथैया उत्सव का आयोजन होता है। कृष्ण लीला को देखने के लिए हज़ारो की संख्या में श्रद्धालु आते है।
कब मनाया जाता है नाग नथैया उत्सव-When was celebrated Nag Nathaiya
नाग नथैया उत्सव प्रतिवर्ष कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। कार्तिक माह में भगवान् कृष्ण से जुड़े अनेक उत्सव मनाये जाते है नाग नथैया भी उनमे से एक है।
क्या है नाग नथैया उत्सव-What is Nag Nathaiya Celebration
नाग नथैया को नाग नाथन के नाम से भी जाना जाता है। नाग नथैया उत्सव के दौरान भगवान् श्री कृष्ण की दिव्य लीला का प्रदर्शन किया जाता है। नाग नथैया उत्सव के दौरान भगवान् श्री कृष्ण की उस लीला का वर्णन किया जाता है जिसमे प्रभु श्री कृष्ण कालिया नाग का वध कर रहे है।
क्यों मनाया जाता है नाग नथैया -Why celebrated Nag Nathaiya
वाराणसी में नाग नथैया उत्सव मानाने के पीछे एक प्राचीन पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार भगवान् श्री कृष्ण ने अपने बाल काल में नाग नाथन के लिए यमुना नदी में छलांग गई थी।
एक बार बाल काल में जब भगवान् श्री कृष्ण खेल रहे थे तो उनकी गेंद यमुना नदी में चली जाती है। भगवान् श्री कृष्ण यमुना नदी से अपनी गेंद वापिस मांगते है परन्तु माता यमुना उन्हें गेंद नहीं देती है। ऐसी स्थिति में बाल कृष्ण अपनी गेंद लेने के लिए यमुना जी में छलांग लगा देते है।
जब कृष्ण यमुना नदी में पहुंचते है तो देखते है की नदी में कालिया नाग है। कालिया नाग ने यमुना नदी के पानी को विष युक्त कर दिया है।
श्री कृष्ण कालिया नाग को यमुना नदी से जाने के लिए कहते है। परन्तु कालिया नदी छोड़ कर नहीं जाता है ऐसे में भगवान् श्री कृष्ण कालिया नाग से युद्ध कर के कालिया नाग को हरा देते है। भगवान् श्री कृष्ण कालिया नाग के शीश पर नृत्य करते हुए यमुना के बहार आते है और कालिया नाग सदैव के लिए यमुना से चला जाता है। वाराणसी के नाग नथैया उत्सव में भी नाग नाथन का यही दृश्य तुलसी घाट पर आयोजित किया जाता है। इसमें बच्चे नाग के शीश पर नृत्य करते हुए नदी से बाहर आते है।
नाग नथैया उत्सव वर्तमान में भी बहुत प्रचलित है इसका मुख्य कारण है की वाराणसी की जनता का मानना है की प्रभु श्री विष्णु समय समय पर बुराई का नाश करने के पृथ्वी पर अवतार लेते है। अब जब पृथ्वी पर बुराई बढ़ जाएगी तो पुनः भगवान् विष्णु पृथ्वी पर जन्म लगे।
भगवान् विष्णु ने जिस प्रकार कृष्ण रूप में आकर बुराई का नाश किया था उसकी का गुणगान करने के लिए नाग नथैया मनाते है और भगवान् से आग्रह करते है की जरूरत पड़ने पर पुनः हमारी मदद के लिए आये।