मानसरोवर घाट बनारस में सबसे अधिक देखे जाने वाले पर्यटक स्थलों में से एक है इन घाटों पर पूजा, धार्मिक संस्कार और गंगा आरती की जाती है। दिन के अलग-अलग घंटों में घाटों के नजारे बदलते रहते हैं या घाटों के बारे में एक अनोखी बातें जो दुनिया भर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है वाराणसी में कई घाटों में से मानसरोवर घाट अपने सुरम्य दृश्यों के साथ एक लोकप्रिय घाट है।
मानसरोवर घाट का निर्माण आमेर के राजा मानसिंह ने 1585 ईसवी के आसपास करवाया था। तिब्बत में मानसरोवर झील से प्रेरित होकर राजा ने एक कुंड बनवाया और उसका नाम मानसरोवर कुंड रखा गया वर्तमान में पास के घाट को भी इसी नाम से जाना जाता है कुछ वर्षों तक मानसरोवर घाट का कई बार राजा मानसिंह के वंशजों द्वारा पुनर्निर्माण किया गया था। बाद में सरकार ने इसके रखरखाव की जिम्मेदारी ले ली जैसे-जैसे घाट प्रसिद्ध होता गया इसे मजबूत किया गया। बढ़ती हुई भीड़ को नियंत्रित किया जा सके इसके चलते कुंड का आकार सिकुड़ गया और एक कुएं में सिमट गया और अब इसे मानसरोवर गुफा के नाम से जाना जाता है कुछ समय पश्चात घाट का एक हिस्सा कुमार स्वामी मठ ने खरीद लिया अब तीर्थ यात्रियों के लिए कई विश्राम गृह और प्रार्थना क्षेत्र बनाए हैं।
घाट से जुड़ी रोचक बात
मानसरोवर घाट पर मानसरोवर कुंड का निर्माण किया गया है यहां की मान्यताओं के अनुसार इस कुंड में स्नान करने से हिमालय में स्थित कैलाश मानसरोवर में स्नान करने का पुण्य प्राप्त होता है ।
क्या देखें
इन घाटों का अलौकिक दृश्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है जो पर्यटक मानसरोवर घाट पर आते हैं वह वहां स्थित मानसरोवर कूप को देख सकते हैं ।
मानसरोवर घाट के पास स्थित घाट
मानसरोवर घाट के पास चौकिया घाट, सोमेश्वर घाट आदि घाट स्थित है ।
मानसरोवर घाट कैसे पहुंचे
मानसरोवर घाट वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी 4 किलोमीटर है बस द्वारा जाने पर आपको यहां 24 मिनट का समय लगता है।