सिद्धेश्वरी देवी का जन्म 8 मार्च 1908 वाराणसी, भारत में हुआ था। सिद्धेश्वरी देवी भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्रसिद्ध गायिका थीं। वे खयाल, ठुमरी और दादरा ,चैती कजरी गायन में काफी माहिर थी । उन्हें माँ और गोना के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने अपने माता-पिता को जल्दी खो दिया था और उनकी चाची, प्रसिद्ध गायिका राजेश्वरी देवी ने उनका पालन-पोषण किया।
Early life (प्रारंभिक जीवन)
सिद्धेश्वरी देवी का जन्म बनारस के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उसके पिता का नाम श्याम था जिन्होंने मैना देवी की तीन बेटियों में से एक चंदा उर्फ श्यामा से शादी की। चंदा की मृत्यु 18 महीने, सिद्धेश्वरी को जन्म देने के बाद हो गयी, जिसके बाद उन्हें उनकी मौसी(माँ की बहन) ने पाला था। राजेश्वरी जिन्हें मैना देवी की गद्दी विरासत में मिली थी और वह बनारस की एक प्रमुख गायिका थीं। वह अपनी संगीत विरासत (गद्दी) को अपनी बेटी कमलेश्वरी या कमला को सौंपना चाहती थी, और सिद्धेश्वरी के रूप में सिद्धि को किसी भी प्रकार का संगीत प्रशिक्षण देने का इरादा नहीं था। प्रसिद्ध सारंगी वादक पंडित सियाजी महाराज मिश्र कमलेश्वरी से सगाई की, हालाँकि सिद्धेश्वरी को घरेलू कामों, संगीत में व्यस्त रखा गया था। वह किसी भी मुसीबत का सामना करने को तैयार थी संगीत के लिए। इतने लंबे समय तक उन्होंने खाना पकाने, सफाई करने या धोने पर कोई आपत्ति नहीं की क्योंकि सियाजी महाराज के पाठों को सुन सकती थी और उन्हें सुनकर वो रियाज किया करती थी।
Career (व्यवसाय)
शास्त्रीय गायिका सिद्धेश्वरी देवी को पहली बार 17 साल की वर्ष में सरगुजा के युवराज के विवाह में गाने का अवसर मिला। उनके पास अच्छे कपड़े नहीं थे। ऐसे में विद्याधरी देवी ने उन्हें वस्त्र दिये। वहां से सिद्धेश्वरी देवी का नाम सब ओर फैल गया। एक बार तो मुंबई के एक समारोह में वरिष्ठ गायिका केसरबाई इनके साथ ही उपस्थित थीं। जब उनसे ठुमरी गाने को कहा गया, तो उन्होंने कहा कि जहां ठुमरी की देवी सिद्धेश्वरी देवी हों वहां मैं कैसे गा सकती हूं। अधिकांश बड़े संगीतकारों का भी यही मानना था कि मलका और गौहर के बाद ठुमरी के सिंहासन पर बैठने की अधिकार सिद्धेश्वरी देवी का ही हैं। उन्होंने पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल और अनेक यूरोपीय देशों में जाकर भारतीय ठुमरी की धाक जमाई। उन्होंने राजाओं और ज़मीदारों के दरबारों से अपने प्रदर्शन शुरू किये और बढ़ते हुए आकाशवाणी और दूरदर्शन तक पहुंचीं। जैसे-जैसे समय और स्तर बदले, उन्होंने अपने संगीत में परिवर्तन किया, यही उनकी सफलता का रहस्य था। सिद्धेश्वरी देवी ने श्रीराम भारतीय कला केन्द्र, दिल्ली और कथक केन्द्र में नये कलाकारों को भी ठुमरी सिखाई।
Awards (पुरस्कार)
- 1966 में उन्हे भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उन्हे साहित्य कला परिषद सम्मान से सम्मानित किया गया।
- इसके अलावा उन्हे उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी सम्मान और केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी सम्मान से भी नवाजा गया था।
अन्य जानकारी
सिद्धेश्वरी देवी का निधन 18 मार्च, 1977 की सुबह दिल्ली में हुआ था।
सिद्धेश्वरी देवी ने उषा मूवीटोन की कुछ फ़िल्मों में अभिनय भी किया था ।
उनकी बेटी सविता देवी भी प्रख्यात गायिका हैं। उन्होंने अपनी मां की स्मृति में ‘सिद्धेश्वरी देवी एकेडेमी ऑफ़ म्यूजिक’ की स्थापना की है। इसके माध्यम से वे हर वर्ष संगीत समारोह आयोजित कर बड़े संगीत करो को सम्मानित करती हैं।