History of Kashi VIshwanath Mandir : काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास

भोलेनाथ की नगरी काशी को हमेशा से ही देव भूमि के नाम से जाना जाता है काशी गंगा नदी के किनारे बसी है बनारस धार्मिक महत्व के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है यहा दूर दूर से यात्री बाबा के दर्शन को प्राप्त करने के लिए आते है, 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख मंदिर काशीविश्वनाथ अनादिकाल से ही काशी में है यह भगवान शिव और माता पार्वती का आदि स्थान है यहा के गंगा आरती में शामिल होने के लिए दूर दूर से लोग आते है धार्मिक मान्यता है कि दैविक काल से ही महादेव काशी में वास करते है और यह भी कहा जाता है की काशी भगवान शिव के त्रिशूल पे टिका है और लोगो का मान्यता है की इसलिए काशी में कभी भयानक प्राकृतिक आपदा नहीं आती है और काशी को मोक्ष द्वार भी कहा जाता है.

History of Kashi Vishwanath Mandir -

आइए जानते है काशी विश्वनाथ मंदिर की पौराणिक कथा के बारे मे इतिहासकारो के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने करवाया था वही 1194 ईस्वी में इस भव्य मंदिर को मुहम्मद गौरी ने तुड़वा दिया था लेकिन एक बार फिर 1447 ईस्वी में जौनपुर के सुल्तान महमूद गौरी द्वारा तोड़ दिया गया इसके बाद मुगल शासक अकबर के शासन काल में इसे फिर से राजा मान सिंह द्वारा बनाए जाने का उल्लेख मिलता है 1585 में अकबर के शासनकाल में ही राजा टोडरमल द्वारा पंडित नारायण भट्ट की सहायता से मंदिर का पुनरोद्वार कराया गया कुछ दशकों बाद औरंगजेब ने फरमान जारी कर मंदिर को गिराने का आदेश दिया तमाम उठापटक और प्रतिरोध के बाद मंदिर का निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने 1780 में करवाया ।

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