Gyanvapi Mosque Interior:जानिये ज्ञानवापी मस्जिद की आंतरिक संरचना के बारे में

Gyanvapi Mosque Interior- ज्ञानवापी मस्जिद की आंतरिक संरचना

ज्ञानवापी मस्जिद उत्तरप्रदेश वाराणसी में स्थित एक विवादित मस्जिद है। ज्ञानवापी मस्जिद के अधिकार के लिए हिन्दू व् मुस्लिम पक्ष का सदैव से ही मतभेद रहा है।

इतिहास के अनुसार 1735 औरंगजेब ने भगवान् शिव को समर्पित विश्वेश्वर मंदिर को नष्ट करके ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवाया था। पुराणों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि विश्वेश्वर मंदिर में भगवान् शिव का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थित था। यह ज्योतिर्लिंग भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक था।

ज्ञानवापी मस्जिद आंतरिक वास्तुकला-Gyanvapi Mosque Interior Details

ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण मुग़ल काल में बादशाह औरंगजेब द्वारा करवाया गया है। मुग़ल काल में निर्मित होने के कारण ज्ञानवापी मस्जिद मुग़ल शैली में निर्मित है।

ज्ञानवापी मस्जिद हिन्दू मंदिर को तोड़ कर उनके अवशेषों पर बनाई गई है। इसलिए मस्जिद की संरचना में हिन्दू वास्तुकला शैली भी देखने के लिए मिलेगी।

ज्ञानवापी मस्जिद इंडो – मुग़ल वास्तुकला का एक अच्छा मिश्रण है। मस्जिद के गुम्बद के नीचे मंदिर से सम्बंधित दीवारें नजर आती है और मस्जिद के स्तम्भ भी हिन्दू मंदिर शैली में बने हुए है। स्तम्भों के ऊपर फूल , पान के पत्ते , कलश , घंटी , देव देताओ के चित्र अंकित है।

मस्जिद परिषर में चार तहखाने है जो की पूरी तरह से हिन्दू मंदिर शैली में निर्मित है।  तहखानों की दीवारों , छतो आदि पर फूल , पान के पत्ते आदि की नक्काशी   मिली है। इसके अलावा तहखाने के एक स्तम्भ पर प्राचीन हिंदी भाषा में सात वाक्य लिखे हुए है।

ज्ञानवापी मस्जिद की अन्य दीवारों पर स्वस्तिक , त्रिशूल , ॐ के निशान बने हुए है। मस्जिद में जिस स्थान पर नवाज पढ़ी जाती है वहां श्री , ॐ आदि लिखे हुए है। साथ ही साथ मंदिर के स्तम्भ अष्टकोड़ में बने हुए है जो हिन्दू मंदिर शैली का उदाहरण है।

मस्जिद की ओर मुँह करके नंदी विराजमान है जो की हिन्दू पुराणों के अनुसार इस बात का प्रतीक है की यहाँ भगवान् शिव विराज मान है।

ज्ञानवापी मस्जिद के गुम्बद के नीचे एक और गुम्बद है जो की 6  से 7  फुट नीचे बना हुआ है। नीचे बना हुआ गुम्बद शंकु के आकार का है जो की हिन्दू मंदिर शैली की बनावट है। 

मस्जिद परिसर में एक विशेष वजू खाना स्थित है , जहां नवाज से पहले वजू अदा की जाती है। उस परिसर में एक शिव  लिंग जैसी आकृति मिली है। इस आकृति को हिन्दू समुदाय शिवलिंग बताता है वही मुस्लिम समुदाय फुव्वारा बताते है। वर्तमान में मुस्लिम समुदाय इस फुव्वारे को चलाने में  असमर्थ है। 

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