Ghats in Varanasi-वाराणसी के प्रमुख घाटों की जानकारी

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Ghats at Varanasi- वाराणसी के प्रमुख घाट

वाराणसी शहर गंगा नदी के किनारे बसा हुआ एक बेहद खूबसूरत शहर है। गंगा नदी के तट पर वाराणसी में अनेक घाट बने हुए है। इस सभी घाटों का धार्मिक, सांस्कृतिक, वाणिज्यिक और पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्व है। वाराणसी के घाट वाराणसी की सुंदरता का मुख्य अंग है।

वाराणसी में करीबन अस्सी से भी अधिक घाट स्थित है जहां से वाराणसी का दैनिक जीवन चलता है।

Famous Ghats in Varanasi / Ghats in Banaras-

1: अस्सी घाट

अस्सी घाट वाराणसी के आध्यात्मिक घाटों में से एक है। यह घाट वाराणसी के दक्षिणी छोर पर स्थित है। अस्सी घाट पर स्नान करने का विशेष महत्व है। अस्सी घाट वह स्थान है जहां अस्सी नदी गंगा में आकर मिलती है। इसलिए इस स्थान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

2: गंगा महल घाट

गंगा महल घाट वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों में से एक है। गंगा महल घाट का नाम, घाट के किनारे स्थित एक महल के नाम पर रखा गया है। इतिहास के अनुसार इस महल निर्माण करीब 20 वी शताब्दी में हुआ था। तभी से गंगा के इस घाट को गंगा महल घाट के नाम से जाना जाता है। 

3: रीवा घाट

रीवा घाट को लाला मिशिर घाट के नाम से भी जाना जाता है। इस घाट के तट पर स्थित महल को वर्ष 1879 में महाराजा रीवां ने खरीद लिया था, तभी से इस घाट को रीवा घाट के नाम से जाना जाता है। इस घाट का शांत वातावरण  और सुंदरता पर्यटकों व् संगीतकारों को अपनी तरफ आकर्षित करती है।

4: तुलसी घाट

तुलसी घाट वाराणसी के प्रमुख घाटों में से एक है। तुलसी घाट वह स्थान है जहां तुलसीदास जी रामचरित्रमानस और हनुमान चालीसा लिखने के दौरान रहा करते थे। यह घाट नाव यात्रा करने के लिए उपयुक्त है। यहाँ घूमने व् नौका विहार का सबसे अच्छा समय सूर्योदय और सूर्यास्त का समय है।

5: जानकी घाट

जानकी घाट का निर्माण 19 वी शताब्दी में सुरसंड की महारानी कुंवर ने करवाया था। ऐसा कहाँ जाता है की महारानी कुंवर माता सीता की आराधना करती थी। इस कारण से इस घाट का नाम जानकी घाट पड़ा था। 

6: शीतला घाट

शीतला घाट दश्वामेध घाट के उत्तरी छोर पर निर्मित है। यहाँ शीतला माता का प्रसिद्ध मंदिर है। जिसके नाम पर घाट का नाम रखा  गया है।

7: दश्वामेध घाट

दश्वामेध घाट वाराणसी का सबसे व्यस्त घाट है। भगवान् ब्रह्मा ने इस स्थान पर दस अश्वमेध यज्ञ किया था, तभी से इस स्थान को दश्वामेध घाट के नाम से जाना जाता है। यहाँ विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है।

8: प्रयाग घाट

प्रयाग घाट गंगा, यमुना , सरस्वती के संगम स्थान पर बना हुआ है।  यहाँ स्नान करने पर प्रयागराज में स्नान करने जितना ही पुण्य मिलता है।

9: मणिकर्णिका घाट

मणिकर्णिका घाट वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों में से एक है। मणिकर्णिका घाट का उपयोग अंतिम संस्कार के लिए किया जाता है।

10: भदैनी घाट

भदैनी घाट से वाराणसी की जल आवश्यकता की पूर्ति की जाती है। इस लिए यह घाट वाराणसी के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ किसी प्रकार का कोई धार्मिक कार्य या अनुष्ठान आयोजित नहीं होता है।

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11: आनंदमयी घाट

आनंदमयी घाट का नाम एक प्रसिद्ध महिला संत के नाम पर पड़ा है। महिला संत ने इस घाट पर महिलाओ के लिए एक आश्रम बनवाया था, तभी से इस घाट की आनंदमयी घाट के नाम से जाना गया है।

12: वछराज घाट

वछराज घाट का निर्माण 18 वी शताब्दी के अंत में हुआ था। इस स्थान को जैन धर्म के सातवें तीर्थंकर के जन्मस्थान के रूप में भी देखा जाता है। जैन धर्म में इस घाट का बहुत महत्व है।

13: निषादराज घाट

निषादराज घाट वाराणसी के नाविकों और मछुआरों के बहुत महत्व रखता है। इस घाट का नाम निषादराज नाविक के नाम पर रखा गया है। निषादराज वह नाविक थे जिन्होंने भगवान् राम, माता सीता और लक्ष्मण को सरयू नदी पार करवाई थी। मछुआरे व् नाविक निषादराज को अपना देवता मानते है। 

14: प्रभु घाट

 प्रभु घाट का निर्माण 20 वी शताब्दी में हुआ था। वर्तमान समय में यह घाट कपड़े धोने के लिए एक लोकप्रिय स्थान है। साथ ही साथ यहाँ अनेक नाविक भी रहते है।

15: पंचकोटा घाट

पंचकोटा घाट का निर्माण वर्ष 1800 में हुआ में हुआ था। इस घाट की सीढ़िया दो मंदिरों में जाकर खुलती है। जो की आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

16: चेत सिंह घाट

चेत सिंह घाट का नाम राजा चेत सिंह के भव्य महल के आधार पर रखा गया है। घाट की खूबसूरती व् महल का गौरवशाली इतिहास पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है.

17: निरंजनी घाट

निरंजनी घाट चेत सिंह घाट का ही हिस्सा है। यहाँ वर्ष 1897  में निरंजनी अखाड़े के निर्माण के बाद इस घाट का नाम निरंजनी घाट रख दिया गया था।

18: महा निर्वाणी घाट

महा निर्वाणी घाट का नाम नागा संतो के महानिर्वाणी संप्रदाय के नाम पर रखा गया है। साथ ही साथ यह वह घाट है जहां भगवान् बुद्ध ने एक बार स्नान किया था। इस कारण से इस घाट का धार्मिक महत्व अधिक बढ़ जाता है।

19: शिवाला घाट

शिवाला घाट का वाराणसी में अत्यंत धार्मिक महत्व है। शिवाला का अर्थ है – शिव का निवास। शिवाला घाट के तट पर एक भव्य शिव मंदिर है। इस कारण से इस घाट को शिवाला घाट के नाम से जाना जाता है।

20: गुलरिया घाट

गुलरिया घाट वाराणसी का सबसे छोटा घाट है। यहाँ एक विशाल गुलार का पेड़ था जिसके नाम पर इस घाट का नाम गुलरिया घाट पड़ा था। 

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21: दांडी घाट

दांडी घाट का नाम दांडी तपसियो के नाम पर पड़ा था। इस घाट के तट पर दांडी तपस्वियों का मठ बना हुआ है। यह घाट तपस्वियों के लिए बहुत महत्व रखता है।

22: हनुमान घाट

हनुमान घाट के तट पर तुलसीदास जी ने हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया था। हनुमान मंदिर के नाम पर ही इस घाट का नाम हनुमान घाट पड़ा था।

23: प्राचीन घाट

प्राचीन घाट संत वल्लभ के जन्म स्थान के रूप में जाना जाता है। संत वल्लभ ने ही कृष्ण भक्ति की नींव रखी थी। इस लिए इस घाट का वाराणसी में विशेष महत्व है।

24: कर्नाटक घाट

यहाँ मैसूर के तपस्वियों का मठ व् अखाड़ा स्थित है। इस कारण से इसे कर्नाटक घाट के नाम से भी जाना जाता है। दक्षिण भारत के लोगो के लिए यह स्थान विशेष महत्व रखता है।

25: हरिश्चंद्र घाट

हरिश्चंद्र घाट को मणिकर्णिका घाट के नाम से जाना जाता है। मणिकर्णिका घाट वाराणसी की शमशान भूमि के लिए प्रसिद्ध है।

26: लाली घाट

लाली घाट वाराणसी में स्थित एक छोटा घाट है। यहाँ अधिकतर धोबी समुदाय के लोग रहते है व् अपना जीवन यापन करते है।

27: केदार घाट

केदार घाट का वाराणसी में धार्मिक व् अध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। स्कन्द पुराण के अनुसार यह घाट विश्वनाथ मंदिर से भी पुराना है।

यहाँ भगवान् शिव ने स्वयं शिवलिंग की स्थापना की थी।

28: चौकी घाट

यह घाट पिपला वृक्ष के लिए बहुत प्रसिद्ध है। साथ ही साथ यहाँ धोबी समुदाय के लोग रहते है।  यह लोग यहाँ कपड़े धोने का काम भी करते है। यहाँ हर जगह कपड़े सूखते हुए ही मिलेंगे।

29: सोमेश्वर घाट

सोमेश्वर घाट का निर्मार कुमारस्वामियो के अनुयायियों द्वारा किया गया है। इस घाट की सुंदरता यहाँ पर्यटकों को आकर्षित करती है।

30: मानसरोवर घाट

मानसरोवर घाट का निर्माण राजा मान सिंह द्वारा करवाया गया था। यह घाट बेहद खूबसूरत है।

31: नारद घाट

नारद घाट को कुवई घाट के नाम से भी जाना जाता है।  इस घाट नाम नारद मुनि के नाम पर रखा गया है।

32: राजा घाट

राजा घाट का निर्माण मराठा प्रमुख गाजीराव बालाजी द्वारा किया गया था। अधिकतर पर्यटक यहाँ सूर्योदय व् सूर्यास्त देखने के लिए आते है।

33: खोरी घाट

खोरी घाट को गंगा महल घाट के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ गंगा नदी के तट पर पांच मंदिर बने हुए है। जो की आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

34: पांडेय घाट

पांडेय घाट का नाम बनारस के प्रसिद्ध पहलवान बबुआ पांडेय के नाम पर रखा गया था।  यहाँ एक अखाड़ा भी स्थित है।  वर्तमान में भी यहाँ पहलवान कसरत करने के लिए आते है।

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35: सर्वेश्वर घाट

सर्वेश्वर वाराणसी के छोटे घाटों में से एक है। यह घाट मथुरा पांडेय द्वारा बनवाया गया है।

36: दिग्पटिया घाट

दिग्पटिया घाट के तट पर बेहद खूबसूरत महल बना हुआ है। इस कारण से यह घाट पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

37: चौसठी घाट

चौसठी घाट के तट पर 64 देवी देवताओ के मंदिर स्थित है। इस लिए इस घाट को चौसठी घाट के नाम से जाना जाता है।

38: राना महल घाट

राना महल घाट चौसठी घाट के उत्तरी छोर पर स्थित है। इस घाट का निर्माण उदयपुर के राजा द्वारा किया गया है। यहाँ वक्रतुण्ड विनायक मंदिर भी स्थित है जिसे देखने के लिए दूर दराज से लोग आते है।

39: दरभंगा घाट

दरभंगा घाट का निर्माण बिहार के राजा द्वारा किया गया है। यहाँ भगवान् शिव का भव्य मंदिर स्थित है।

40: मुंशी घाट

मुंशी घाट वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों में से एक है। इस घाट का निर्माण नागपुर के वित्त मंत्री श्री धर नारायण मुंशी ने करवाया था। उनकी मृत्यु के बाद इस घाट को मुंशी घाट का नाम  दिया गया।

41: अहिल्याबाई घाट

अहिल्याबाई घाट इंडोर की रानी अहिल्याबाई द्वारा निर्मित घाट है। यह वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों में से एक है। यहाँ अनेक मंदिर भी स्थित है।

42: राजेंद्र प्रसाद घाट

राजेंद्र घाट को घोड़ा घाट के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस स्थान पर दस घोड़ो का बलिदान एक साथ दिया गया था।

43: मान मंदिर घाट

मान मंदिर घाट पर मान मंदिर पैलेस पर एक खगोलीय वेधशाला बनी हुई है। इस वेधशाला के कारण ही इस घाट का नाम मान मंदिर घाट पड़ा है।

44: त्रिपुराभैरवी घाट

त्रिपुराभैरवी घाट का नाम त्रिपुरा भैरवी तीर्थ के नाम पर रखा गया है। वाराणसी में इस घाट के दर्शन का विशेष महत्व है।

45: नया घाट

नया घाट पहले यज्ञेश्वर घाट के रूप में जाना जाता था। यह घाट वाराणसी के खूबसूरत घाटों में से एक है।

46: नेपाली घाट

नेपाली घाट का निर्माण गोरखा वंश के राजाओं ने करवाया था। इस स्थान का नाम नेपाली मंदिर के नाम पर रखा गया था। नेपाली घाट नेपाली निवासियों के प्रभुत्व का प्रतिनिधित्व करता है।

47: ललिता घाट

ललिता घाट ललिता देवी मंदिर को समर्पित है। ऐसा कहाँ जाता है की ललिता देवी के दर्शन करना पूरी पृथ्वी की परिक्रमा लगाने के सामान है।

48: जलशायी घाट

जलशायी का अर्थ होता है शव को पानी में डालना। इस घाट का उपयोग शव को अग्नि देने से पहले नहलाने के लिए किया जाता है।

49: खिड़की घाट

खिड़की घाट से मणिकर्णिका घाट की सभी गतिविधियां आसानी से दिखाई देती है। इस लिए इस घाट को खिड़की घाट के नाम से जाना जाता है।

50: बाजीरियो घाट

इस घाट का निर्माण बाजीराव द्वारा करवाया गया था। इस लिए इस घाट का नाम बजीरियो घाट रखा गया था। यह घाट प्रसिद्ध रत्नेश्वर मंदिर के लिए भी जाना जाता है।

51: सिंधिया घाट

सिंधिया घाट को वीरेश्वर घाट के नाम से भी जाना जाता है। इस घाट का निर्माण अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।

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52: गंगा महल घाट

गंगा महल घाट वाराणसी के सबसे सुंदर घाटों में से एक है। यह घाट सुंदर महल को समर्पित है जहां राधा और कृष्ण विराजमान है।

53: भोंसले घाट

भोंसले घाट के ऊपर भोंसले पैलेस बना हुआ है। इस भोंसले पैलेस के कारण ही इस घाट को भोंसले घाट के नाम से जाना जाता है।

54: गणेश घाट

गणेश घाट को यहाँ विराजमान गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है। गणेश घाट वाराणसी के खूबसूरत घाटों में से एक है।

55: राम घाट

राम घाट का नाम यहाँ स्थित राम मंदिर के नाम पर पड़ा। राम घाट का उपयोग श्रद्धालुओं और पर्यटकों द्वारा स्नान के लिए किया जाता है।

56: जतारा घाट

जतारा घाट का निर्माण माधोराव पेशवा ने करवाया था।

57: पंचगंगा घाट

पंचगंगा घाट वाराणसी के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यहाँ पांच नदियों का संगम माना जाता है।

58: लाला घाट

लाला घाट का निर्माण वाराणसी के प्रसिद्ध धनी व्यक्ति ने करवाया था। यहाँ तीर्थयात्रियों के लिए विश्राम स्थल भी उपलब्ध है।

59: हनुमान गढ़ी घाट

हनुमान गढ़ी घाट अयोध्या का प्रतिनिधित्व करता है। यह वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों में से एक है।

60: संकट घाट

संकट घाट के ऊपर संकटा देवी का मंदिर बना हुआ है। इस लिए इस घाट को संकट घाट  कहा जाता है।

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