Table of Contents
ToggleDurgakund Mandir Varanasi- दुर्गाकुंड वाराणसी
वाराणसी का दुर्गा मंदिर जोकि एक प्राचीन मंदिर है, माँ दुर्गा को समर्पित मंदिर का निर्माण 18वी सदी में बंगाल की रानी ने करवाया था, ऐसी मान्यता है, कि इस मंदिर में स्थापित मूर्ति माँ दुर्गा का असली अवतार है यह इंसानो द्वारा बनाई गयी मूर्ति नहीं है. कहा जाता है कि नवदुर्गा पर मांगी गयी इच्छाएं यहाँ ज़रूर पूरी होती हैं. इस मंदिर में बन्दरों की संख्या अधिक होने के कारण इसे बन्दर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, या दुर्गा कुंड के नाम से भी जाना जाता है.
Address Of Durga Kund- दुर्गा मंदिर वाराणसी का पता
दुर्गा कुण्ड, जवाहर नगर कॉलोनी, भेलुपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, 560037
Durga Kund Varanasi timing- दुर्गा मंदिर वाराणसी का समय
दुर्गा मंदिर के खुलने का समय सुबह 4 बजे से 1 बजे तक और दोपहर 3 बजे से शाम 8 बजे तक है.
History Of Durga Kund Temple- दुर्गाकुंड मंदिर का इतिहास
इस मंदिर के पीछे की कहानी काशी कांड में मिलती है, वाराणसी के राजा सुबाहु अपनी बेटी की शादी करना चाहता था जिसके लिए राजा ने स्वयंवर की घोषणा की और विभिन्न राज्यों के राजाओं को निमंत्रित किया परन्तु राजा सुबाहु ने पराजित राजा सुदर्शन को निमंत्रित नहीं किया, वहीं माँ दुर्गा ने राजकुमारी के सपने में आकर राजकुमारी को आज्ञा दी कि वह राजा सुदर्शन से विवाह करें, और राजा सुदर्शन को आज्ञा दी कि वह स्वयंवर में जाएं, जब यह बात राजकुमारी के पिता सुबाहु को पता चली तो उन्होंने बिना राजाओं जो (स्यंमवर् के लिए निमंत्रित) को बताये गुपचुप तरीके से दोनों का विवाह करा दिया,
जब इस बात की खबर राजाओं को हुई तो उन्होंने राजा के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया और तीनों राजकुमारी, सुबाहु और सुदर्शन को चारों और से घेर लिया तो राजा ने दुर्गा माँ से प्रार्थना कि वह उनकी जान बचा लें तभी माँ दुर्गा के अवतार में शेर की सवारी पर हाथ में त्रिशुल लिए प्रकट हुईं और उनकी जान बचा ली, तभी राजा सुबाहु ने माँ दुर्गा से प्रार्थना की आप वाराणसी की रक्षा के लिए यहीं निवास करें और माँ दुर्गा रक्षा के लिए यहीं रुक गयीं. सुबाहु ने माता का मंदिर बनवाया और जहाँ माँ दुर्गा का वास्तविक स्वरूप में हैं.
Architecture Of Durga Kund Temple- दुर्गाकुंड मंदिर का बनावट
दुर्गा मंदिर लाल रंग के पत्थरों का आयात आकार का मंदिर है, जिसकी संरचना माँ दुर्गा की लाल मूर्ति को ध्यान में रख कर की गयी है, इस कारण इसे लाल मंदिर भी कहा जाता है, यह मंदिर उत्तर भारत के वस्तुकला पर आधारित है, वहीं इसका अन्य नाम दुर्गा कुण्ड इस मंदिर के दाहिनी ओर एक आयात आकार के कुण्ड होने के कारण पड़ गया.