Darbhanga Ghat in Varanasi : दरभंगा घाट

वाराणसी जिसे बनारस तथा काशी के नाम से भी जाना जाता है वाराणसी को भारत के पवित्र शहरों में से एक माना जाता है वाराणसी अपने मंदिरों तथा घाटों के लिए विश्व प्रसिद्ध है वाराणसी में कुल 88 घाट हैं जो गंगा नदी के किनारे स्थित हैं और इन घाटों पर धार्मिक अनुष्ठान संपन्न करवाए जाते हैं इन घाटों में दरभंगा घाट अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।       

दरभंगा घाट के बारे में (About Darbhanga Ghat)

दरभंगा घाट गंगा नदी के तट पर 64वे घाट के समीप स्थित है यह वाराणसी के दशास्वमेध घाट और राना महल घाट के बीच स्थित है दरभंगा घाट वाराणसी के पर्यटन स्थलों में अत्यधिक धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है यह घाट मुख्य रूप से श्मशान के लिए समर्पित है और इसलिए दाह संस्कार के दौरान अंतिम संस्कार से संबंधित विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान दरभंगा घाट पर संपन्न कराए जाते हैं। हिंदुओं में यह धार्मिक मान्यता है कि बनारस में मृत्यु और वाराणसी के घाटों पर अंतिम संस्कार करने से लोगों की आत्मा को मोक्ष एवं मुक्ति मिलती है दरभंगा घाट पर न केवल दाह संस्कार किए जाते हैं बल्कि पूजा और अस्थियों का गंगा में विसर्जन भी किया जाता है । बनारस के कई घाटों की तरह दरभंगा घाट भी एक खुले शमशान के रूप में कार्य करता है दरभंगा घाट का नाम दरभंगा के शाही परिवार के नाम पर रखा गया है। दरभंगा वर्तमान में बिहार का एक प्रसिद्ध जिला है यह घाट अन्य घाटों की अपेक्षा थोड़ा सा छोटा है लेकिन बबुआ पांडे घाट के निकट विस्तृत हो जाता है।

दरभंगा घाट का इतिहास (History of Darbhanga Ghat)

काशी के इतिहासकार मानते हैं कि इस घाट का निर्माण नागपुर रियासत के मंत्री श्रीधर मुंशी जी ने सन 1812 ईस्वी में कराया था। पहले दरभंगा घाट मुंशी घाट का हिस्सा हुआ करता था तथा सन 1920 ईस्वी के दौरान बिहार स्थित दरभंगा नरेश ने मुंशी घाट की कुछ हिस्से को खरीद लिया और घाट को पक्का कराया तथा उसका भव्य निर्माण कराया दरभंगा राजा के नाम पर ही इस घाट का नाम दरभंगा घाट पड़ा।      

दरभंगा घाट से जुड़ी रोचक बातें

गंगा नदी के किनारे स्थित दरभंगा घाट पर सन 1812 ईस्वी में नागपुर रियासत के मंत्री श्रीधर मुंशी ने एक आलीशान महल का निर्माण करवाया था। यह चुनार के बलुआ पत्थरों से निर्मित है 108 साल बाद इस महल को दरभंगा नरेश कामेश्वर नाथ जी ने खरीद लिया तथा इसका नाम दरभंगा पैलेस रखा लगभग 35 वर्ष पहले बृजलाल नामक व्यक्ति ने इस पैलेस को खरीद लिया अब यह पैलेस बृजरामा पैलेस के नाम से जाना जाता है। यह पैलेस बनारस(Varanasi) के फाइव स्टार होटलों में से एक है। 

क्या देखें

 बनारस स्थित समस्त घाट अपने अलौकिक दृश्य के लिए विश्व प्रसिद्ध है दरभंगा घाट एक धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ एक पर्यटन स्थल भी है इन घाटों पर दूर-दूर से सैलानी इन घाटों की सुंदरता देखने आते हैं इन घाटों से सूर्योदय तथा सूर्यास्त का दृश्य देखने से लोगों को एक आनंद तथा शांति का अनुभव प्राप्त होता है दरभंगा घाट के ऊपर नीलकंठ क्षेत्र में एक शानदार प्राचीन इमारत और एक भव्य मंदिर स्थित है वहां कुकुटेश्वरा की मंदिर को भी देखा जा सकता है। 

घाट के समीप स्थित मंदिर (Nearby Temples)

दरभंगा घाट के समीप विश्वनाथ जी तथा मां अन्नपूर्णा जी का मंदिर स्थित है इस घाट पर ही शिवजी तथा कुकुटेश्वरा के मंदिर भी स्थित है।     

दरभंगा घाट के समीप स्थित घाट (Nearby Ghats)

दरभंगा घाट के समीप बबुआ पांडे घाट, राना महल घाट तथा दशाश्वमेध घाट स्थित है। 

दरभंगा घाट कैसे पहुंचे (How to Reach Darbhanga Ghat)

दरभंगा घाट, दशाश्वमेध घाट के समीप ही स्थित है आप घाट तक पहुंचने के लिए कार, बस, ऑटो, टैक्सी किसी भी वाहन का प्रयोग कर सकते हैं तथा आप अन्य रास्तों के द्वारा भी घाट पहुंच सकते हैं। कैंट बस स्टैंड से घाट की दूरी 4.3 किलोमीटर है तथा आपको घाट तक जाने में 18 मिनट का समय लगेगा अगर आप बनारस रेलवे स्टेशन मंडुवाडीह से महमूरगंज रोड से होते हुए जाते हैं तो घाट वहां से 4.5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है तथा आपको वहां पहुंचने में 19 मिनट का समय लगेगा।  

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