Kal Bhairav Temple Varanasi : काशी के कोतवाल काल भैरव

Kaal Bhairav Mandir Varanasi-काल भैरव मंदिर वाराणसी

उत्तर प्रदेश, वाराणसी(Varanasi) में बाबा काल भैरव मंदिर स्थित है, इस मंदिर का हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है, यह मंदिर काशीखण्ड में उल्लिखित पुरातन मंदिरों में से एक है, इस मंदिर पौराणिक मान्यता यह है कि बाबा विश्वनाथ ने काल भैरव जी को काशी का क्षेत्रपाल नियुक्त किया था, काल भैरव जी को काशीवासियो को दंड देने का अधिकार है!

Kaal Bhairav Temple Location-

Vishweshwarganj,Varanasi

बाबा विश्वनाथ है काशी के राजा और कोतवाल है काल भैरव-

भगवान भोले नाथ की प्रिय नगरी को काशी कहा जाता है, यह मंदिर पिछले कई वर्षा से काशी में स्थित है जिसे अब वाराणसी के नाम से जाना जाता हैं, धार्मिक मान्यता है के काशी के राजा बाबा विश्वनाथ(Vishwanath) है और काल भैरव काशी के कोतवाल जिनकी इच्छा के बिना कोई कार्य सफ़लता पूर्वक नहीं हो सकता है और पूरी काशी की देख रेख काल भैरव के हाथ में है, काशी के रहने वालों का यह कहना है कि बाबा विश्वनाथ एवं माता पार्वती की रक्षा स्वयं बाबा काल भैरव करते हैं, इसका उल्लेख महाभारत और उपनिषद में भी किया गया है।

अगहन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भैरवअष्टमी कहा जाता है। शिव पुराण के अनुसार अगहन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन ही शिव जी के अंश काल भैरव का जन्म हुआ था।

बाबा काल भैरव कैसे बने काशी के कोतवाल -

काल भैरव(Kaal Bhairav) का काशी के कोतवाल यानी काशी में स्थापित होने के पीछे एक पौराणिक कथा है, धार्मिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है की एक दिन भगवान विष्णु और ब्रह्मदेव के बीच में चर्चा छिड़ गई के उन दोनों में से कौन ज्यादा शक्तिशाली है बहुत देर तक बहस होती रही तभी भगवान विष्णु ने कहा कि हम दोनों से ज्यादा शक्तिशाली भगवान शिव शंकर हो सकते हैं, तभी ब्रह्मदेव के पांचवें मुख ने शिव निन्दा किए, भगवान शिव क्रोधित हो उठे, और उनके क्रोध से काल भैरव की उत्पत्ति हुई, यहीं वजह है कि काल भैरव को शिव का अंश माना जाता है, काल भैरव ने शिव की निंदा करने वाले ब्रह्मा जी के पांचवें मुख को अपने नाखूनों से काट दिए थे।  

उत्तर प्रदेश, वाराणसी(Varanasi) में बाबा काल भैरव मंदिर स्थित है, इस मंदिर का हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है, यह मंदिर काशीखण्ड में उल्लिखित पुरातन मंदिरों में से एक है, इस मंदिर पौराणिक मान्यता यह है कि बाबा विश्वनाथ ने काल भैरव जी को काशी का क्षेत्रपाल नियुक्त किया था, काल भैरव जी को काशीवासियो को दंड देने का अधिकार है!

बाबा काल भैरव पर ब्रह्महत्या का पाप-

काल भैरव ने गुस्से मे ब्रह्मा जी के पांचवे मुख को अपने बाए हाथ की सबसे छोटी अंगुली के नाखुन से ब्रह्मा जी का शीश तन से अलग कर दिए, अब उनके नाखुन से ब्रम्हा जी का शीश नहीं छूट रहा था वे काफी कोशिश किए किन्तु वह निकलने का नाम नहीं ले रहा था, तभी वहां शिव जी प्रकट हुए उन्होंने  भैरव से कहा कि अब तुम्हें ब्रह्म हत्या का दोष चढ़ चुका है,और इसकी सजा यह है कि तुम्हें एक सामान्य व्यक्ति की तरह तीनों लोको का भ्रमण करना होगा। 

जब तुम्हारे हाथ से ब्रह्मा जी का शीश तुम्हारे हाथ से छूटे जाएगा, तभी तुम ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो जाओगे। 

काल भैरव को ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिलना-

भगवान शिव के आज्ञानुसार काल भैरव तीनों लोकों का भ्रमण करने पैदल यात्रा पर निकल पड़े, लेकिन जैसे ही भैरव अपनी यात्रा शुरू कर रहे थे, तभी शिव जी की प्रेरणा से एक कन्या प्रकट हुई, वे कोई आम कन्या नहीं बल्कि ब्रह्म हत्या कन्या थी, उस कन्या को शिव जी ने आदेश दिया की कन्या तुम भैरव का पीछा करो मगर, तुम तीनों लोको पर भैरव का पीछा कर सकती हो मगर काशी नगरी में जैसे ही भैरव प्रवेश करें तुम उस नगरी में प्रवेश नहीं कर सकती अगर प्रवेश कर गयी तो तुम्हारा अस्तित्व खत्म हो जाएगा, यह सुन कन्या भैरव का पीछा करने लगी, शिव जी के कहे अनुसार भैरव ब्रह्महत्या मुक्ति पाने के लिए तीनो लोक में यात्रा कर रहे थे और उनके पीछे वह कन्या भी पीछा कर रही थी काल भैरव काशी नगरी में प्रवेश किए लेकिन वह कन्या काशी नगरी की सीमा पर खड़ी भैरव का इंतजार कर रही थी,शिव जी के कहे अनुसार वह  काशी में प्रवेश नही कि, जैसे ही काल भैरव गंगा के निकट पहुंचे वैसे ही बाबा भैरव के हाथ से ब्रह्मा का शीश हाथ से छूट गया। ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिलते ही वहा शिव जी प्रकट हुए और उन्होंने काल भैरव को वही तप करने का आदेश दिया, उसके बाद कहा जाता है की बाबा काल भैरव काशी नगरी में बस गए। 

तुम कहलाओगे काशी के कोतवाल-

पौराणिक कथा के अनुसार काशी में काल भैरव को तप करने का आदेश देते हुए बाबा विश्वनाथ ने काल भैरव को आशीर्वाद दिए के तुम इस नगर के कोतवाल कहे जाओगे और युगों- युगों तक तुम्हारी इसी रूप मे पूजा की जाएगी, कहा जाता है कि भगवान शिव के आशीर्वाद के अनुसार बाबा काल भैरव काशी में ही बस गए जिस स्थान पर वह रहते थे, वही बाबा काल भैरव का मंदिर स्थापित हो गया।

बाबा विश्वनाथ के दर्शन से पहले करे बाबा काल भैरव का दर्शन-

कहा जाता है कि बाबा विश्वनाथ(Vishwanath) से पहले बाबा काल भैरव(Kaal Bhairav) का दर्शन करना अनिवार्य है, उनकी अनुमति के बिना कोई भी कार्य सफल नहीं हो सकता है, क्योंकि वह काशी के कर्ता- धर्ता है, काल भैरव को आशीर्वाद एवं दंड देने का अधिकार है, ऐसा मान्यता है कि यमराज भी भैरव के अनुमति के बिना किसी के प्राण नहीं ले सकते हैं, कहा जाता है कि काशी में काल भैरव के जिसने दर्शन नहीं किए उन्हें बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद प्राप्त नहीं हो सकता है, काशी विश्वनाथ मंदिर का जिक्र महाभारत मे भी किया गया है!

काल भैरव को क्या चढ़ाया जाता है (offerings)-

सुबह की आरती के बाद मंदिर का गर्भ गृह दर्शन के लिए खोल दिया जाता है, इसके बाद दोपहर के आरती के समय मंदिर के दर्शन नहीं मिलते हैं, रात्री में आरती के समय भक्त अपने बाबा का दर्शन कर सकते हैं, मंगलवार को अपार भीड़ लगी रहती है, यहां आरती के समय डमरू, नगाड़े, घंटा की ध्वनि सुनाई देती है, यह दृश्य बहुत ही मनमोहक होता है, काल भैरव बाबा को प्रसाद में मदिरापान सेवन कराने का विशेष महत्व है,और पुष्प, तुलसी का माला चढ़ाया जाता है, यहां आमतौर पर लोग भूत पिशाचिनी के उपचार हेतु आते हैं, तथा वे लोग भगवान काल भैरव की कृपा से ठीक भी हो जाते हैं, बालकों को काले धागे दिए जाते हैं, जिससे बच्चे भयमुक्त हो जाते हैं, ऐसी मान्यता है कि किसी भी प्राणी को मृत्यु से पूर्व यातना के रूप में बाबा काल भैरव के सोटे की यातना का सामना करना होता है। 

उत्तर प्रदेश, वाराणसी(Varanasi) में बाबा काल भैरव मंदिर स्थित है, इस मंदिर का हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है, यह मंदिर काशीखण्ड में उल्लिखित पुरातन मंदिरों में से एक है, इस मंदिर पौराणिक मान्यता यह है कि बाबा विश्वनाथ ने काल भैरव जी को काशी का क्षेत्रपाल नियुक्त किया था, काल भैरव जी को काशीवासियो को दंड देने का अधिकार है!

हवाईअड्डा से काल भैरव मंदिर कैसे जाए- How to reach Kaal bhairav temple by air

अगर आप कभी काशी में स्थित काल भैरव बाबा के दर्शन के लिए आए तो आप गूगल के माध्यम से सरलता पूर्वक पहुंच सकते हैं, बाबा का दरबार अंतर्राष्ट्रीय लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा से कम से कम 30 से 32  किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, अगर आप हवाई अड्डा से जाना चाहते हैं तो वहां जाने के कई साधन उपलब्ध हैं जैसे- बस ,ओला, टैक्सी, इ-रिक्शा आदि की सहायता से आप काल भैरव बाबा मंदिर पहुंच सकते हैं। वहाँ जाने  के लिए पहले, एयरपोर्ट से कैंट जाये फिर कैंट से ऑटो से मैदागिन फिर रिक्शा के सहायता से बाबा के पवित्र स्थान पर पहुच कर दर्शन करे। 

ट्रेन से काल भैरव मंदिर- How to reach Kaal bhairav mandir by train

रेल्वे मार्ग की मदद से ट्रेन द्वारा अगर आप उत्तर प्रदेश में स्थित बाबा काल भैरव मंदिर जाने की बात करे तो आप ट्रेन द्वारा काफी सरलता पूर्व पहुंच सकते हैं, क्योंकि railway station से बाबा काल भैरव मंदिर की दूरी 3 किलोमीटर है, रेल्वे स्टेशन से आपको कई प्रकार के साधन उपलब्ध मिलेगे जैसे:- बस, आटो, ओला, टैक्सी, इ-रिक्शा आदि की सहायता से बाबा काल भैरव मंदिर दर्शन के लिए पहुंचे सकते हैं। 

कार या बाइक से काल भैरव मंदिर कैसे जाए- How to reach Kaal bhairav by car or bike

उत्तर प्रदेश में वाराणसी में प्रसिद्ध मंदिर बाबा काल भैरव के दर्शन करने के लिए खुद की कार या बाइक से आए हैं तो आप बहुत सरलता से पहुंचे सकते हैं, आप अपने मोबाइल में गुगल मैप को फॉलो करते हुए आप बहुत आसानी से काशी में पहुंच कर बाबा का दर्शन कर सकते हैं, फिर वहाँ से दर्शन कर के बाहर निकलकर के वहां के बाजारों का लुफ्त उठा सकते है साथ ही साथ कुछ ही दूरी पर आगे जा कर आप सुबह ए बनारस के चाय और पूरी जलेबी और अन्य चीजों का भी स्वाद ले सकते है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Translate »