Aghorpeeth Varanasi-अघोर पीठ वाराणसी

Baba Keenaram Aghorpeeth Ashram- बाबा कीनाराम का आश्रम

वाराणसी शहर भगवान् शिव की नगरी है. यहाँ भगवान् की पूजा बड़ी भक्ति और श्रद्धा के साथ होती है. वाराणसी भगवान् शिव की नगरी के अतिरिक्त भगवान् शिव के प्रिय भक्त अघोर की नगरी के नाम से भी जानी जाती है. 

ऐसा माना जाता है की अघोर भगवान् शिव के ही अवतार है. 

क्या है अघोर (What is Aghor)

अघोर एक सम्प्रदाय है जिसे की भगवान् शिव के वंशज कहा जाता है. अघोर पंथ के प्रवर्तक स्वयं भगवान् शिव माने जाते है. अघोर संप्रदाय के सबसे पहले गुरु बाबा कालूराम और उसके बाद उनके शिष्य बाबा कीनाराम हुए. बाबा कीनाराम ने सर्वप्रथम अघोर पीठ का निर्माण करवाया. 

क्या है अघोर पीठ (What is Aghorpeeth)

अघोर पीठ, अघोर संप्रदाय का आध्यात्मिक केंद्र है. जिसे अघोर संप्रदाय का मुख्यालय या मुख्य तीर्थस्थल भी कहा जाता है. यहाँ अघोर सम्प्रदाय के लोग रहते है और भगवान् शिव की तपश्या करते है. 

कहाँ स्थित है अघोर पीठ (Aghorpeeth Varanasi, Location)

अघोर पीठ उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में रविन्द्रपुरी स्थान पर स्थित है. इस अघोर पीठ को बाबा कीनाराम अघोर पीठ के नाम से भी जाना जाता है. इस स्थान का निर्माण स्वयं बाबा कीनाराम ने करवाया था.  इसलिए इस स्थान का नाम उनके नाम पर ही पड़ा. 

बाबा कीनाराम अघोर पीठ इतिहास (Baba Keenaram Aghorpeeth Varanasi history )

बाबा कीनाराम ही पहले व्यक्ति थे जो की अघोरो के पीठाधीश्वर के संस्थपक थे. जिन्होंने अघोर पीठ के नाम से पहला अघोरो का मुख्यालय बनाया. 

बाबा कीनाराम के जन्म 1601 में चंदौली में हुआ. ऐसा कहा जाता है ली बाबा कीनाराम जन्म के बाद न रोये न तीन दिन तक बोले. तीन दिन बाद तीन भिक्षु वहा आये और उनके कान में कुछ फुसफुसाया उसके बाद पहली बार बाबा कीनाराम रोये. 

बाबा कीनाराम ने हिंगलाज माता, ल्यारी जिले बलूचिस्तान से अपनी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की थी. इसके बाद बाबा कीनाराम ने बाबा कालूराम को अपना गुरु बनाया था. 

अपनी साधना और ज्ञान की प्राप्ति के बाद बाबा कीनाराम वाराणसी आ गए और यहाँ आकर लोगो की सेवा करने लगे. वाराणसी में उन्होंने कई किताबे लिखी जैसे की विवेकसार, रामगीता, रभारसाल, उन्मुनीराम आदि.  इस सभी पुस्तकों में आधार सिद्धांतो का उल्लेख है. 

करीब 170 वर्ष जीवित रहने के बाद बाबा कीनाराम ने समाधी ले ली.  बाबा कीनाराम ने जिस स्थान पर समाधि ली वही अघोर पीठ का निर्माण करवा दिया गया.

बाबा कीनाराम की मृत्यु के बाद अघोर पीठ के ग्यारह पीठाधीश्वर हुए है. जिन्होंने अघोर पीठ का प्रचार प्रसार किया है.

अघोर पीठ वाराणसी विशेषताएँ (Aghorpeeth Varanasi specialities)

अघोर पीठ वाराणसी में क्रीं कुंड नामक स्थान है. इस स्थान पर स्नान करने से सभी कष्ट दूर हो जाते है. ऐसा कहा जाता है की इस स्थान को बाबा कीना राम ने अभिमंत्रित करके बनाया था और इस अभिमंत्रित जल में स्नान भी किया था. यही कारण है की यह स्थान अघोर पंथ में किसी तीर्थ स्थान से काम नहीं है. 

अघोर पीठ में धुनी जलती है.  इस धुनी को भी बाबा कीनाराम ने अभिमंत्रित करके जलाया था. अघोर पीठ में इस धुनी की राख को प्रसाद स्वरुप दिया जाता है. 

ऐसा माना जाता है की यहां आज भी बाबा कीनाराम लोगो की समस्या का समाधान करते है.

वर्तमान में अघोरपीठ अघोरियों का मुख्य स्थान बन चुका है. यहाँ कई अघोरी साधना करने के लिए आते है और कई महीनो तक साधना करते है.  

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