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वाराणसी को मेलो का शहर कहा जाता है।
Dhrupad Mela- ध्रुपद मेला
वाराणसी में आयोजित होने वाले महोत्सव में से सबसे बड़ा महोत्सव है। ध्रुपद मेला वाराणसी में प्रतिवर्ष फ़रबरी और मार्च महीने में मनाया जाता है। ध्रुपद मेला देश विदेश के पर्यटक के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
करीब पांच दिन तक चलने वाले इस मेले में अनेक रंगा रंग कार्यक्रम होते है।
कहां आयोजित होता है ध्रुपद मेला-Where is organised Dhrupad Mela
ध्रुपद मेला उत्तरप्रदेश के वाराणसी में तुलसी घाट पर आयोजित होता है।
क्या है ध्रुपद मेला-What is Dhrupad Mela
ध्रुपद हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक प्रकार है।ध्रुपद शब्द की उत्पत्ति ध्रुव और पाद से हुई है।
ध्रुव का अर्थ है स्थिर और पाद का अर्थ है शब्द।
इसी ध्रुपद शास्त्रीय संगीत के आधार पर वर्तमान में वाराणसी में ध्रुपद मेला आयोजित होता है। ध्रुपद मेले में देश विदेश से अपना फ़न दिखने के लिए तुलसी घाट वाराणसी पहुंचते है। यहाँ कई हज़ारो की संख्या में दर्शक भी महान कलाकारों की प्रस्तुतियां देखने के लिए आते है।
भारतीय शास्त्रीय संगीत ध्रुपद स्वर ताल और पाद का का एक खूबसूरत समन्वय है | जिसमे ले की विशेष विविधता है | इसके साथ ही ॐ,नॉम , तन , देरेना ,जैसे शब्दों को अलाप में प्रयोग किया जाता है | ध्रुपद संगीत विधा से ही अन्य संगीत विधाओं का जन्म हुआ है ।
ध्रुपद मेला के अंतर्गत शास्त्रीय संगीत से जुड़ी अनेक गायन व् वादन की रंगारंग प्रस्तुतियां आयोजित होती है ।
अब तक कुल ध्रुपद मेला के कुल 47 संस्करण हो चुके है
ध्रुपद मेले का इतिहास-Dhrupad Mela history
ध्रुपद मेले के बारे में कहां जाता है की ध्रुपद संगीत शैली को तानसेन ने व्याख्यात किया था।
तानसेन की ध्रुपद संगीत शैली को पुनःजीवित रखने के लिए ही 1974 में ध्रुपद मेले की शुरुआत की गई थी। 1975 अखिल भारतीय ध्रुपद मेला समिति अस्तित्व में आई थी।
1975 से अखिल भारतीय ध्रुपद मेला समिति प्रतिवर्ष ध्रुपद मेले का आयोजन वाराणसी में करती है।
इस मेले का उदघाट्न 21 फरबरी 1975 को संकट मोचन मंदिर के पूर्व मेहनत प्रो वीरभद्र मिश्र ने किया था | काशिराज स्वः विभूतिनारायण सिंह वर्तमान में इसके अध्यक्ष है ।
ध्रुपद मेला का महत्व -Importance of Dhrupad Mela
ध्रुपद मेला शास्त्रीय संगीत को जीवंत बनाये रखने की अनोखी पहल है ।
ध्रुपद मेला शास्त्रीय संगीत में उभर रहे नए फनकारों को एक बड़ा मंच प्रदान करता है ।
ध्रुपद मेला के द्वारा भारत का इतिहास सहेज कर रखने की पहल है ।
ध्रुपद मेला के माध्यम से वाराणसी की संस्कृति को देखने और समझने का का जरिया है ।
ध्रुपद मेला की सहायता से वाराणसी में पर्यटन विकास भी बढ़ा है ।
ध्रुपद मेला हमारी संस्कृति को सहेज कर रखने का एक बहुमूल्य साधन है | ध्रुपद मेला के ज़रिये वाराणसी के विकास और वृद्धि में भी सहायता मिल रही है ।