Bindu Madhav Temple : बिन्दुमाधव मंदिर वाराणसी

Bindu Madhav Mandir, Varanasi

बिंदु माधव मंदिर जोकि वाराणसी का एक मुख्य मंदिर है जहाँ लोग कम ही जाते हैं पर इस मंदिर का उल्लेख जीन-बैप्टिस्ट टैवर्नियर द्वारा मिलता है जिन्होंने 17वी शताब्दी में भारत की यात्रा से जाने पर लिखा था कि बिंदु माधव मंदिर भव्यता और महिमा से खड़ा है, मूल मंदिर एक क्रॉस आकार का शिवालय है जिसकी चार भुजाएँ है और हर भुजा पर टॉवर और गर्भगृह है जोकि शिखर रूपी है.

मंदिर में 6 फीट ऊँची मूर्ति है जोकि कीमती पत्थर, हिरे, मोती की माला पहनी हुई है वहीं दूसरी और इसकी तारीफ तुलसीदास ने यूँ करी है. ” अरे बिन्दु माधव! तुम उस बादल के समान हो जो सुख और उल्लास की वर्षा करता है। आप ही हैं जो वाराणसी नामक प्रतीकात्मक वन को शुद्ध करते हैं, एक ऐसा जंगल जो आपकी उपस्थिति के कारण बहुत सुखद है”.

Address Of Bindumadhav Temple | बिन्दुमाधव मंदिर का पता

बिंदु माधव मंदिर, K22/37, पंचगंगा घाट, वाराणसी.

Architecture Of Bindumadhav Temple | बिंदुमाधव मंदिर की वास्तुकला

बिंदु माधव मंदिर को 1663 में ध्वस्त कर दिया गया था जिसे बाद फिर मराठा काल में दोबारा बनवाया गया, यह मंदिर किसी भव्य मंदिर की तरह ना होकर बिल्कुल साधारण घर सा दिखने वाला मंदिर है जिसके प्रवेश द्वार पर हनुमान की मूर्तियाँ हैं और सिड़ियों से अंदर जाते ही एक बड़ा सा हाल है जिसमें काले मार्बल की विष्णु की मूर्ति और साथ में 70 लिंग, गणेश और नंदी की छवियाँ भी स्थापित है. कहा जाता है कि जब तक मंदिर का पुनः निर्माण नहीं हुआ तब तक माधव देवता की मूर्ति को गंगा नदी के पानी में डुबो कर रखा गया, मंदिर निर्माण के बाद वही प्राचीन मूर्ति को स्थापित किया गया था.

History Of Bindumadhav Temple | बिंदुमाधव मंदिर का इतिहास

ऐसी मान्यता है कि पंचगंगा में एक अग्नि बिंदु नाम के एक ऋषि रहते थे जिन्होंने विष्णु भगवान की तपस्या की और उनकी तपस्या से खुश होकर अग्नि बिंदु ऋषि को एक वरदान मांगने कि इच्छा जताई, जिसमें बिंदु ऋषि ने विष्णु भगवान पंचगंगा में ठहरने का आग्रह किया ताकि लोग मोक्ष को प्राप्त कर सके, विष्णु जी ने वचन दिया कि जबतक काशी है और यह ब्रह्मांड है तब तक वह पंचगंगा में ही निवास करेगें और यहाँ एक मंदिर बनेगा जिसका नाम तुम्हारे और मेरे नाम को मिलाकर रखा जायेगा. इसलिए इसका नाम बिंदुमाधव भी है.

एक और मान्यता के अनुसार बिंदु ऋषि नेपाल में गण्डकी नदी के किनारे तपस्या कर रहे थे तभी विष्णु देवता प्रकट हुए और ऋषि को आदेश दिया कि काशी में मेरे नाम का एक मंदिर निर्माण कराओ जिसमें गण्डकी नदी की मिट्टी से मेरी प्रतिमा स्थापित की जाए.

Timing Of BinduMadhav Temple | बिंदुमाधव मंदिर का समय

4 AM – 12 PM

4 PM – 7 PM

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