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ToggleSarnath Temple
सारनाथ मंदिर वराणसी के पास गंगा और वरुणा नदी के किनारे स्थित है कहा जाता है कि यहाँ पर गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था और सारनाथ के हिरण पार्क में गौतम बुद्ध ने धम्मा को शिक्षा दी थी, यहाँ पर से बुद्ध संघ के द्वारा कोंडन्ना के ज्ञान अस्तित्व में आया, यह मंदिर को सम्राट अशोक ने बनवाया था, जोकि बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए पवित्र स्थल की मान्यता रखता है यहाँ गौतम बुद्ध की 80 फीट ऊँची प्रतिमा लगाई गयी है, और यहाँ हर साल कई श्रद्धालु दर्शन को आते हैं.
Wat Thai Temple Sarnath
इसे थाई मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, हिनायना बुद्ध मंदिर 1933 में थाई के एक महान व्यक्ति द्वारा बनाया गया था यह थाई वास्तुकला से प्रेरित हैं और हरे भरे garden के बीचो बीच स्थित है. थाई मंदिर के ठीक सामने laughing बुद्धा की मूर्ति है जबकि सीधे हाथ की तरफ वह जगह है जहाँ गौतम बुद्ध अपने उपदेश दिया करते थे फिर उसके आगे बुद्धा की अलग अलग मुद्रा में मूर्तियाँ है जोकि रंग बिरंगे फूलों की कियारियों से घिरीह हुई हैं. यहाँ सुबह से शाम तक बिना किसी एंट्री फीस के असकते है.
Sivli Viyatnam Temple Sarnath
सारनाथ में ही सिवली वियतनाम नाम से बौद्ध मंदिर है जिसे गुलाबी मंदिर से भी जाना जाता है यह मंदिर 2014 में एक बौद्ध भिक्षु दून लाम टेम द्वारा बनाया गया था, दून के सपने में एक साधु के दर्शन हुए और उन्होंने सारनाथ में मंदिर बनाने को कहा जिसको बनाने के लिए वह वियतनाम से भारत अपनी सारी संपत्ति बेचकर आगए और 2 साल के अंदर पैसे जमा कर के मंदिर का निर्माण कराया, यह मंदिर वियतनामी वास्तुकला की शैली पर बनाया गया है इसमें बौद्ध की 70 फीट ऊँची प्रतिमा स्थित है जिसे वराणसी गुरु के नाम से जाना जाता है, यहाँ पुरे साल आया जा सकता है.
Japanese Temple Sarnath
जापानी मंदिर का वास्तविक नाम निचिगई सुजान होरिनजी मंदिर है, यह भी जापानी शैली पर बना हुआ 2 मंज़िला मंदिर है, जो देखने में जापान के क्योटा मंदिर का स्मरण कराता है. मुख्य मंदिर के ठीक सामने एक पेड़ के नीचे बौद्ध भगवान की एक लकड़ी की मूर्ति आराम की मुद्रा में स्थित है जिसके सिर पर बेहद खूदसूरत कारीगरी है, और पास ही में ना “मु म्यो हो रेन गे क्यो” मंत्र खुदाई कर के उकेरा हुआ है. मंदिर जो कि लकड़ी का बना हुआ है उसमें धीमी धीमी चंदन की खुशबु का एहसास होता है क्योंकि मंदिर में रखी मूर्तियाँ चंदन की बनी हुई हैं. यहाँ हमेशा आपको जापानी टूरिस्ट मिलेगें जोकि मंदिर दर्शन को आते हैं.
Tibetan Temple Sarnath
सारनाथ का तिब्बती मंदिर बाज़ार के करीब ही स्थित है यहाँ पर दुनियाँ भर से सबसे अधिक शद्धालु आते हैं. तिब्बेटियन मंदिर में जैसे ही प्रवेश करते हैं वहाँ आपको खुले मैदान में एक बड़ा सा गुलाबी रंग स्पूत दिखाई देता हैं जोकि दलाई लामा को शरण देने के धन्यवाद रूपी बनाया गया है, इस मंदिर की वास्तुकला तिब्बत से प्रेरित है. मंदिर की दीवारों और छतों पर बौद्ध देवताओं के चित्र बने हुए हैं वहीं मंदिर के अंदर बौद्ध भगवान का चित्र विश्राम की मुद्रा में बना हुआ है. यहाँ पर भी अधिकांश बौद्ध मंदिरों की तरह प्रार्थना चक्र भी है, यहाँ सभी वर्ग लोग आते हैं.
Mulagandha Kuti Vihar Sarnath
मुलनगंधा कुटी विहार बुद्ध तीलस्थलों में से एक है जोकि सारनाथ में ही स्थित है इसका निर्माण 1931 में हुआ था और यह मूल रूप से एक मठ और मंदिर है, मंदिर में एक बोधि वृक्ष है जोकि श्रीलंका के अनुराधापुर से लाया गया है. कहा जाता है कि इस वृक्ष की उत्पत्ति बोधगया के वृक्ष से हुई जिसके नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इसके अलावा यहाँ भगवान बुद्ध के कुछ अवशेष भी मिलते है और यहाँ बुद्ध की सुनहरी प्रतिमा भी आकर्षण का केंद्र है. यहाँ प्रवेश के लिए टिकट लेना पड़ता है.
Bermese Golden Temple Sarnath
सारनाथ में हिरण पार्क के उल्टे हाथ की तरफ बर्मी गोल्डन मंदिर है जोकि 1930 में बना था, इस मंदिर की वास्तुकला बर्मी वास्तुकला से प्रभावित है, इसकी छत का बहारी हिस्सा गोल्डन रंग की है जो दिखने बेहद आकर्षित करता है जिस पर बरीक कारीगरी की गयी है, जोकि मुगल कला के बैल बुटो से प्रभावित है इसके विपरीत मंदिर अंदर से बेहद सादा है जिसमे बौद्ध की प्रतिमाये है.
Mahabodhi Temple Sarnath ( Mahabodi Society of Sarnath)
सारनाथ का महाबोधि मंदिर 1931 में निर्माण हुआ था कहा जाता है कि यह पवित्र अस्थि अवशेष रखने के लिए बनवाया गया था, इसकी दीवारों पर गौतम बुद्ध के बचपन से अंत तक के रंग बिरंगे चित्र बने हुए हैं जिन्हें बनाने के लिए जापान के प्रसिद्ध चित्रकार कोसेटु आये थे जिनके नेतृव्य में उनकी पूरी टीम ने बुद्ध के चित्र बनाये थे, इसके अलावा इससे जुड़े शिलापट् चार भाषाओं उर्दू, हिन्दी, अंग्रेज़ी और जापानी में लिखे हुए हैं.
Choukhandi Stoop Sarnath
उत्तर प्रदेश के सारनाथ एक और पवित्र स्थल है चौखंडी स्तूप कहा जाता है यह वह जगह है जहाँ गौतम बुद्ध की मुलाकात अपनी पाँच तपस्वियों से हुई थी. उनके स्मरण में यहाँ एक स्तूप का निर्माण कर दिया गया था जोकि बौद्ध धर्म के प्रचार में भी काफी सहायक रहा, यह स्तूप हरियाली के बीचोबीच स्थित है जिससे यहाँ आने वालो को अजीब शान्ति का अनुभव होता है.
Conclusion
जैसा कि हमने आपको अपने इस आर्टिकल में Sarnath Buddha Temple’s List–Buddhist Temple of Sarnath, Japanese Temple Sarnath, के बारे में बताने कि कोशिश कि है। उम्मीद करता हूँ आपको हमारी ये पोस्ट पसंद आयी होगी. अगर आपके मन में भी “Top 10 buddha temple in sarnath” से संबधित कोई भी सवाल है। तो हमें कमेंट करके जरूर बताये और यदि आप इसके अलावा कुछ और भी जानकारियां हमसे चाहते है, तो भी आप हमें कमेंट कर सकते है। हम आपके सवाल का जवाब देने कि कोशिश करेंगे।