काशी की गंगा आरती पूरे विश्व में प्रसिद्ध है देश के कोने कोने से श्रद्धालु काशी की गंगा आरती देखने को आते हैं। गंगा आरती के बारे में आप लोगों ने बहुत कुछ सुना होगा गंगा के तट पर शाम होते होते आसपास का वातावरण एकदम भक्तिमय होने लगता है।
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1971 से दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती की शुरुआत हुई है। बनारस में सबसे पहले गंगा आरती की शुरुआत दशाश्वमेध घाट पर हुई थी। तब से लगातार शाम के समय सूर्यास्त के बाद आरती की जाती है।
दशाश्वमेध घाट पर गंगा नदी के पानी के साथ साथ आरती की मान्यता धार्मिक तौर पर बहुत है।
बनारस में गंगा आरती कैसे की जाती है?
बनारस की गंगा आरती देखने के लिए लोगों के मन में उत्सुकता होती है बनारस की गंगा आरती पूरे देश में प्रसिद्ध है।
गंगा आरती देखने के लिए घाट पर सही जगह खोजने के लिए हलचल सी हो जाती है और गंगा आरती की शुरुआत में जैसे ही शंख बजाया जाता है मानो पूरे शहर में खामोशी छा जाती है।
शंख की आवाज से प्रतीत हो जाता है कि गंगा आरती की शुरुआत हो गई है।
मां गंगा की मूर्ति को एक ऊंचे दर्जे के केंद्र पर रखा जाता है।
मां गंगा आरती में कई मंत्रों का उच्चारण किया जाता है जिनमें से एक मंत्र निम्नलिखित रुप से है।
मां गंगा आरती (Maa Ganga Aarti Mantra)
ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥
ॐ जय गंगे माता,
चंद्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता।
शरण पडें जो तेरी, सो नर तर जाता ॥
ॐ जय गंगे माता॥
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता ॥
ॐ जय गंगे माता॥
एक ही बार जो प्राणी, शारण तेरी आता ।
यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता ॥
ॐ जय गंगे माता।।
गंगा आरती से जुडी मान्यता
स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने कहा है कि जो व्यक्ति घी के दिए से आरती करेगा वह कोटि काल में स्वर्ग लोक में विराजित होएगा, जो व्यक्ति मेरे सामने हो रही आरती में सम्मिलित होगा उसे बैकुंठ की प्राप्ति होगी। यदि कोई व्यक्ति कपूर से आरती करेगा तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी ।
बनारस में गंगा आरती कहां कहां होती है?
बनारस में गंगा आरती बहुत से घाटों पर होती है जिनमें से सबसे प्रमुख गंगा आरती इन दो घाटों पर होती है –
– दशाश्वमेध घाट
– अस्सी घाट
दशाश्वमेध घाट
बनारस में स्थित 84 घाटो मैं सबसे प्रमुख घाट दशाश्वमेध घाट है। दशाश्वमेध घाट प्रमुख रूप से अपनी खूबसूरती और मां गंगा आरती के लिए जाना जाता है। काशी को मोक्ष दायिनी भी कहा जाता है।
ऐसा बोला जाता है कि जो इस घाट पर स्नान करते हैं उस व्यक्ति के सातों जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।
अर्थात एक तरफ से व्यक्ति का उद्धार हो जाता है।
दशाश्वमेध घाट की आरती-
84 घाटो में से एक दशाश्वमेध घाट पर हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आरती देखने के लिए दूर–दूर से सम्मिलित होते हैं।
दशाश्वमेध घाट में मां गंगा की आरती प्रतिदिन सुबह और शाम दोनों के समय किया जाता है।
समय:
सुबह 5 से 6 am (सूर्योदय)
शाम: 6 से 7pm( सूर्यास्त)
प्रमुख स्थानों से दशाश्वमेध घाट की दूरी
रेलवे स्टेशन दशाश्वमेध घाट की दूरी– 5.2 km
बीएचयू से दशाश्वमेध घाट की दूरी– 4.6 km
सारनाथ से दशाश्वमेध घाट की दूरी– 6.6 km
बाबतपुर एयरपोर्ट दशाश्वमेध घाट की दूरी– 25.2km
How To Reach Dhashashvmedh Ghat-दशाश्वमेधघाट कैसे पहुंचे
वाराणसी बस स्टैंड से दूरी 5 किलोमीटर है। बस स्टैंड पर आसानी से ऑटो या कैब मिल जाएगा जो आपको गोदौलिया चौराहे पर पहुंचा देगा फिर वहां से दशाश्वमेध घाट की दूरी लगभग 1 किलोमीटर है जो आपको पैदल चलकर तय करना होगा।
अस्सी घाट की आरती-
Assi नदी और गंगा नदी के सगंम पर स्थित होने के कारण यह घाट 80 के नाम से प्रसिद्ध हुआ। अस्सी घाट पर एक पीपल के नीचे आपको शिव के दर्शन प्राप्त होगा और इसको भगवान आस्सीगमेश्वेमरा का मंदिर भी कहा जाता हैं। तुलसीदास जी ने इसी घाट पर प्रसिद्ध ग्रंथ रामचरितमानस की रचना की थी।
अस्सी घाट गंगा आरती (Assi Ghat Aarti)
अस्सी घाट की गंगा बहुत प्रसिद्ध मानी जाती है अस्सी घाट गंगा आरती में सम्मिलित श्रद्धालु और पर्यटक देश के कोने कोने से आते हैं। अस्सी घाट में प्रतिदिन मां गंगा की आरती की जाती है। अस्सी घाट की गंगा आरती श्रद्धालुओं को बहुत आकर्षित करती है।
अस्सी घाट पर गंगा आरती का समय
सुबह : 5-6 am( सूर्योदय)
शांम : 6-7 pm(सूर्यास्त)