दोस्तो जब हम बात करते हैं, चिकित्सा क्षेत्र की तो हमे बताया जाता हैं कि बहुत सी तकनीकों का आविष्कार ब्रिटेन अमेरिका, यूरोप आदि विदेशी देशों में हुआ है। लेकिन क्या आप को ये पता है कि ये सभी आविष्कार आज से 2600 साल पहले ही एक भारतीय चिकित्सक ने कर दिए थे। इन्होंने आज से 2600 साल पहले ही प्लास्टिक सर्जरी, आंखो की सर्जरी और बहुत से सर्जरी तकनीक विकसित कर दी थी । जिनका नाम हैं सुश्रुत! आज हम लोग इनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें जानेंगे। यह भी जानेंगे कि कैसे आज के जमाने में हमे चिकित्सा के क्षेत्र में पिछड़ा बताया जाता है, लेकिन सुश्रुत का नाम आते ही सब की बोलती बंद हो जाती है।
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सुश्रुत के जन्म के और उनके जीवन कार्यकाल के बारे में कोई ठोस प्रमाण तो नहीं है, केवल अनुमान लगाया जाता हैं। इतिहासकारों के अनुसार इनका जन्म ऋषि विश्वामित्र के कुल में आज से 2600 वर्ष (600 ईशा पूर्व) पहले देव भूमि बनारस में हुआ था।
सुश्रुत प्राचीन भारत के महान चिकित्साशास्त्री एवं शल्यचिकित्सक थे। इन्होंने आयुर्वेद की महान ग्रंथ सुश्रुतसंहिता लिखी थी।
सुश्रुत का जीवन परिचय एक नज़र में (Sushrut ka Jiwan parichay)
नाम आचार्य सुश्रुत
जन्म छः वी सदी ई पू
व्यवसाय चिकित्सा
प्रसिद्धि कारण आयुर्वेद, शल्य क्रिया
पूर्वाधिकारी धन्वंतरी
उत्तराधिकारी चरक
धार्मि हिन्दू धर्म
जनक प्लास्टिक सर्जरी
ग्रंथ सुश्रुत संहिता
About Sushruta in Hindi
आज के जमाने में लोग विदेशी तकनीक के गुलाम हो चुके हैं, और अपने महान चिकित्साशास्त्री एवं शल्यचिकित्सक सुश्रुत को भूल गए हैं। लेकिन आपको जान कर हैरानी होगी कि जिस विदेशी देशों के चिकित्सा तकनीक को अपना कर हम अपना प्राचीन तकनीक को भूल चुके हैं, वही देश हमारे प्राचीन तकनीक को अपना कर इतना आगे हैं। जी हां! हम बात कर रहे ऑस्ट्रेलिया का ऐसे तो हमारा ऑस्ट्रेलिया से हमारा पुराना रिश्ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं। ऑस्ट्रेलिया के कई डॉक्टर हमारे प्राचीन महर्षि सुश्रुत को काफी सम्मान की दृष्टि से देखते हैं, तथा इन्हें अपना आदर्श मानते हैं। यहां के एक प्रसिद्ध मेडिकल कॉलेज में महर्षि सुश्रुत की मूर्ति भी लगाई गई है।
आइए इस कॉलेज के बारे में जानते है।
आस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में स्थित इस कॉलेज का नाम रॉयल ऑस्ट्रेलिया कॉलेज ऑफ सर्जंस (RACS) है। इसमें सर्जन की पढ़ाई होती हैं। इस कॉलेज में उन डॉक्टरों को ट्रेनिंग दिया जाता हैं , जो सर्जरी में महारत हासिल करना चाहते हैं। इस कॉलेज में सिर्फ आस्ट्रेलिया के ही नहीं बल्कि न्यूजीलैंड और अन्य भी देशों के डॉक्टरों को भी ट्रेनिंग दी जाती है। दुनिया के बेहतरीन डॉक्टर इसी कॉलेज से निकलते हैं। ऑस्ट्रेलिया में हिंदु काउंसिल के इंटरव्यू में RACS ने कहा था कि हमारे कॉलेज कैंपस में महर्षि सुश्रुत की मूर्ति स्थापित करना हमारे लिए एक गौरव की बात है।
शिक्षा
महर्षि सुश्रुत ने अपनी शिक्षा बनारस में महर्षि धन्वन्तरि के आश्रम से पूरी की । इनको कॉस्मेटिक सर्जरी cosmetic surgery और शल्य चिकित्सक (Surgery) के क्षेत्र में भी निपुणता हासिल थी। इसलिए इनको शल्य चिकित्सा का पिता (sushruta father of surgery) कहा जाता है। आज हमारे लिए प्लास्टिक सर्जरी एक नई तकनीक हैं। लेकिन महर्षि सुश्रुत आज से 600 वर्ष ईशा पूर्व ही प्लास्टिक सर्जरी किया करते थे।
इन्होंने एक किताब भी लिखी थी जिसका नाम है सुश्रुत संहिता!
What is sushruta samhita (सुश्रुत संहिता क्या है)
यह सुश्रुत द्वारा लिखी गई चिकित्सक किताब है। आइए इसके बारे में विस्तार से जाने:-
आज हमरा देश चिकित्सा के क्षेत्र में चौथे स्थान पर है, और अमेरिका पहला स्थान पर आता हैं। लेकिन अमेरिका जो चिकित्सा के क्षेत्र में खोज कर के नई तकनीक बताता है, उसकी खोज हमारे देश मे आज 2600 कर ली गयी थी। इसका प्रमाण सुश्रुत द्वारा लिखा सुश्रुत साहित्य (sushruta samhita) में मिलता है। जिसमे शल्य चिकित्सा के बारे में विस्तार से बताया गया हैं। शल्य चिकित्सा में प्रयोग करने के लिए 125 प्रकार के उपकरण, 300 प्रकार की ऑपरेशन प्रक्रियाओं, 1120 तरह की बीमारियाँ तथा 700 औषधीय पौधों के बारे में बताया गया हैं।
आज के समय आंखो के इलाज़ के लिए नई नई तकनीक आ रही है। सुश्रुत साहित्य में आखों के लिए भी उपचार लिखा हुआ हैं। अर्थात् सुश्रुत नेत्र शल्य चिकित्सा भी थे। सुश्रुत संहिता में मोतियाबिंद के ऑपरेशन करने की विधि का विस्तार से वर्णन किया गया है। सुश्रुत को टूटी हुई हड्डियों का पता लगाना और उनको जोडऩे में विशेषज्ञता प्राप्त थी। शल्य चिकित्सा (Surgery) करते वक्त होने वाली दर्द को कम करने के लिए ये मद्यपान या विशेष औषधियां देते थे, जिससे रोगी को तकलीफ काम होती थी। ये सभी के बारे में सुश्रुत संहिता में विस्तार रूप से समझाया गया हैं। इसके अतरिक्त सुश्रुत संहिता में मधुमेह व मोटापे के रोग की भी विशेष जानकारी हैं। महर्षि सुश्रुत एक सर्वश्रेष्ठ शल्य चिकित्सक के साथ-साथ एक श्रेष्ठ शिक्षक भी थे।
इन्होंने अपने शिष्यों को शल्य चिकित्सा निपुण बनाया और इन्होंने उस समय में अपने शिष्यों को प्रयोगों (lab) द्वारा सिखाया था। ये अपने शिष्यों को शुरुआती के समय में शल्य (Surgery) के अभ्यास के लिए फलों, सब्जियों और मोम के पुतलों का उपयोग करते थे। बाद में इन्होंने अपने शिष्यों को मानव शरीर के अंदर की रचना को समझाने लिए शव (Darth body) का इस्तेमाल किया। इन्होंने सिर्फ शल्य चिकित्सा के बारे में ही नहीं बल्कि आयुर्वेद के अन्य पक्षों जैसे शरीर सरंचना, काय चिकित्सा, बाल रोग, स्त्री रोग, मनोरोग आदि की भी जानकारी दी हैं।
सुश्रुत की शल्य क्रिया (Surgery of Sushruta)
इन्होंने अपनी सुश्रुत संहित में आठ प्रकार के शल्य के बारे में बताया है। जो इस प्रकार हैं:-
- छेद्य
- भेद्य
- लेख्य
- वेध्य
- ऐष्य
- अहार्य
- विश्रव्य
- सीव्य
महर्षि सुश्रुत ने अपने सुश्रुत संहिता में शल्य क्रियाओं (surgery) के लिए उपयोग होने वाले जटिल, विशिष्ट यंत्रों एवं उपकरणों के बारे में भी वर्णन किया है। सुश्रुत संहित में 28 प्रकार की शलाकाओं, 24 प्रकार के स्वास्तिकों, 20 प्रकार की नाड़ियों और 2 प्रकार के संदसों बारे में विशेष रूप से विस्तृत वर्णन किया है।
आचार्य सुश्रुत के अन्य नाम या उपलब्धियां
सुश्रुत को भी शल्य चिकित्सा के पिता / फादर ऑफ़ सर्जरी (Father Of Surgery) कहा जाता हैं।
सुश्रुत को भी प्लास्टिक सर्जरी के पिता / फादर ऑफ़ प्लास्टिक सर्जरी (Father Of Plastic Surgery) कहा जाता हैं
सुश्रुत को भी ब्रेन सर्जरी के पिता / फादर ऑफ़ ब्रेन सर्जरी (Father Of Brain Surgery) कहा जाता हैं
सुश्रुत को भी शल्य चिकित्सा का जनक (Founder Of Surgery) कहा जाता हैं
सुश्रुत को भी विश्व के पहला सर्जन चिकित्सक कहा जाता हैं